आजकल के यूथ में फिटनेस का ज़बरदस्त क्रेज़ है। सभी लोग अपने आपको फिट रखना चाहते हैं। लेकिन आज हम आपको यूथ के नए शौक के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे सुनकर आप हैरान भी हो सकते हैं। दरअसल, इस बार पुरुषों की दीवानगी जुड़ी है गुप्तांग को गोरा बनाने की कोशिशों में।
थाईलैंड के लोगों को इन दिनों गुप्तांग को गोरा बनाने का अजीबोगरीब शौक लग गया है। ऐसी दीवानगी जिसकी वजह से सवाल उठ रहे हैं कि क्या ब्यूटी इंडस्ट्री सारी हदें तोड़े जा रही है।
थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस प्रक्रिया को लेकर चेतावनी भी जारी की है। बीबीसी थाई सेवा ने इस प्रक्रिया से गुज़रने वाले एक शख़्स से बातचीत की जिसका कहना है, ‘मैं अपने स्विमिंग ब्रीफ़्स में ज़्यादा कॉन्फ़िडेंट महसूस करना चाहता था’।
बता दें 30 साल का ये शख़्स दो महीने पहले पहली दफ़ा ऐसे सत्र से गुज़रा था और उसे शेड में बदलाव दिख रहा है।
‘शारीरिक सम्बन्ध बनाने में भी हो सकती है दिक्कत’
मंत्रालय के डॉ थॉन्गजाई कीर्तिहट्याकोर्न ने एक बयान में कहा कि गुप्तांग की लेज़र वाइटनिंग ज़रूरी नहीं है, पैसा ज़ाया होता है और सकारात्मक के बजाय नकारात्मक चीज़ें ज़्यादा हो सकती हैं।”
थाईलैंड की पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्री ने इस क्लीनिक के सुर्खियां बटोरने पर प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने चेताया है कि इस प्रक्रिया से गुज़रने पर दर्द, निशान, जलन, बच्चे पैदा करने और यहां तक कि शारीरिक सम्बन्ध बनाने में भी दिक्कत पैदा हो सकती है।
इसके अलावा ट्रीटमेंट रोकने पर त्वचा का रंग फिर पहले जैसा हो सकता है और उस गंदे धब्बे भी पड़ सकते हैं।
आखिर ये सब किसलिए?
ये ट्रीटमेंट करने वाले क्लीनिक की तरफ़ से जो फ़ेसबुक पोस्ट डाली गई, उसे दो दिन में 19 हज़ार बार शेयर किया गया। इस इलाज में त्वचा में मेलानिन कम किया जाता है। इसमें ट्रीटमेंट रूम की तस्वीर और पहले-बाद वाले इलस्ट्रेशन भी हैं। इसे लेकर लोग अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
ये सेवा देने वाले लेलक्स हॉस्पिटल के मार्केटिंग मैनेजर पोपोल तंसाकुल ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने चार महीने पहले महिलाओं के गुप्तांग को गोरा बनाने की सेवा शुरू की है। उन्होंने कहा कि लोग तब गुप्तांग वाइटनिंग के बारे में पूछने लगे थे, इसलिए हमने एक महीने बाद ये भी शुरू कर दिया।
बता दें पांच सत्रों की इस पूरी प्रक्रिया का खर्च 650 डॉलर है। कुछ लोग यहां म्यांमार, कम्बोडिया और हॉन्गकॉन्ग से पहुंच रहे हैं।
पोपोल के मुताबिक, ये समलैंगिक पुरुषों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है जो अपने निजी अंगों का ख़ास ख़्याल रखते हैं। वो सभी क्षेत्रों में अच्छा दिखना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते दस साल में दक्षिण एशिया में स्किन वाइटनिंग का चलन ज़ोर पकड़ रहा है। बाज़ार में त्वचा को गोरा बनाने वाले उत्पादों की भरमार है और अतीत में इनका प्रचार करने वाले विज्ञापनों को लेकर कई बार बखेड़ा हो चुका है।
दरअसल, एक स्किन-वाइटनिंग क्रीम के विज्ञापन में दिखाया गया है कि बैंकॉक के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सीटों के ऊपर लिखा है, ‘यहां सिर्फ़ गोरे लोग बैठ सकते हैं’।
एक थाई कॉस्मेटिक कंपनी को इसी तरह का एक विज्ञापन वापस लेना पड़ा था क्योंकि सोशल मीडिया पर उसे लेकर कई लोगों ने कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की थी।