नई दिल्ली : आधार कार्ड को अनिवार्य करने को लेकर केंद्र सरकार को कोर्ट की तल्ख भाषा का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि कोर्ट ने सरकार के इस तर्क का स्वीकार किया है कि आधार के जरिए गरीबों को सरकारी की सब्सिडी सीधे पहुंचाई जा सकती है, इसके जरिए मनी लॉड्रिंग पर रोक लगाई जा सकती है, टैक्स इकट्ठा करने में आसानी हो सकती है। लेकिन इससे इतर कोर्ट ने हर स्थित में हर किसी को आधार कार्ड अनिवार्य किए जाने पर विरोध जताया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमे समझ नहीं आता है कि आखिर यह कैसे समान अनुरूपता लेकर आएगा।
आधार मामले को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच सुन रही है, जिसमे जस्टिस चंद्रचूड़ भी शामिल है। आधार को लेकर कुल 27 याचिका दायर की गई है, जिसमे आधार को अनिवार्य किए जाने को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं में रिटायर्ड जज भी शामिल हैं। वर्ष 2016 में सरकार ने आधार को लागू करने का कानून पास किया था, जिसमे लोगों को किसी भी सब्सिडी और सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आधार अनिवार्य किया गया था।
जस्टिस एके सीकरी ने केंद्र सरकार पूछा कि आप चाहते हैं कि आधार हर किसी तक पहुंचे और हर काम में इसे शामिल किया जाए, आपने इसके लिए 144 नोटिफिकेशन भी जारी किए। आखिर आप यह क्यों चाहते हैं कि आधार को मोबाइल फोन से लिंक किया जाए। क्या आपको लगता है कि हर कोई आतंकवादी है या कानून को तोड़ने वाला है। केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में शीर्ष वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि लोगों को फोन इसलिए आधार से लिंक करने के लिए कहा गया है क्योंकि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी आसानी से सिम कार्ड पा जाते हैं। सरकार के इस जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं थी।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सरकार की बुद्धिमत्ता पर सवाल नहीं खड़ा कर रहे हैं, लेकिन हमे नहीं लगता है कि आतंकवादी सिम कार्ड हासिल करते हैं, उनके पास सैटेलाइट फोन होता है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने आधार को मोबाइल फोन से लिंक किए जाने की अंतिम तारीख पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने साफ कहा था कि लोगों के फोन को बंद नहीं किया जा सकता है, जबतक कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रही है।