भोपाल : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के भविष्य को लेकर सस्पेंस बरकरार है। चौहान विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के लिए दिल्ली में होने वाली निर्णायक बैठक में बैठ पाते हैं या नहीं इसका फैसला जल्द होने की उम्मीद है।
विकल्प के तौर पर दमदारी से केंद्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर का नाम लिया जा रहा है। हालांकि तोमर दृढ़ता से इस संभावना को खारिज कर रहे हैं। उस स्थिति में शिवराज कैबिनेट के तीन मंत्रियों के नाम गंभीर दावेदार के तौर पर लिए जा रहे हैं।
राजनीति में जो होता है वह दिखता नहीं और जो दिखता है वह होता नहीं है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान जितने निश्चिंत दिखाई पड़ रहे हैं वैसी स्थितियां है नहीं।
उनकी निश्चिंतता की वजह राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा अगस्त में भोपाल यात्रा के दौरान चुनाव तक पद पर बने रहने का दिया गया अभयदान है पर उपचुनावों में लगातार मिल रही पराजय और निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता की रिपोर्ट के चलते उनके विकल्प की चर्चाएं शुरू हो चुकी है।
सबसे स्वाभाविक विकल्प नरेन्द्र सिंह तोमर को माना जा रहा है जो पिछले दो चुनावों में भाजपा के विजयी रथ के सारथी रहे हैं।
तोमर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बेहतर तालमेल और प्रदेश के सभी वरिष्ठ और कनिष्ठ नेताओं के बीच उनकी सहज स्वीकार्यता के चलते यह माना जा रहा है कि चूंकि इस बार चुनावी पनघट की डगर आसान नहीं है, इसलिए तोमर के हाथों एक बार फिर संगठन की डोर आएगी। सूत्र बताते हैं कि तोमर अध्यक्ष बन कर मध्यप्रदेश लौटने के इच्छुक नहीं है।
पिछले दिनों जब वे भोपाल दौरे पर आए थे तब उन्होंने साफ तौर इस संभावना को खारिज कर दिया था। सूत्र बताते हैं कि तोमर के लिए यदि राष्ट्रीय स्तर पर सहमति बन जाती है तब तो ठीक है, अन्यथा शिवराज कैबिनेट के मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेन्द्र सिंह और राजेन्द्र शुक्ल में से किसी एक के नाम पर विचार किया जाएगा।
इस विकल्प की चर्चा जोरों पर है कि चौहान को अध्यक्ष रहने दिया जाए और तोमर या कैलाश विजयवर्गीय जैसे किसी बड़े नेता को चुनाव प्रभारी की भूमिका सौप दी जाए। सूत्र बताते हैं कि जो भी होना है उसका फैसला अगले दस दिन में हो जाएगा।