गत दो अप्रैल को दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान मध्य प्रदेश के ग्वालियर, मुरैना और भिंड में हुई हिंसा के बाद, उच्च जातियों के संगठनों द्वारा बुलावे पर आरक्षण के खिलाफ लोग सड़क पर हैं।
आज ‘भारत बंद’ के दौरान केवल बिहार से छिटपुट हिंसा की खबरें आई हैं। जबकि देश के दूसरे हिस्सों में स्थिति सामान्य बताई जा रही है। लेकिन आज के विरोध ने बीजेपी के लिए जरूर मुसीबत खड़ी कर दी है।
आरक्षण के खिलाफ विरोध से BJP बैकफुट पर
आरक्षण के खिलाफ आज अगड़ी जाति के लोग सड़क पर हैं और ‘भारत बंद’ का आवाह्न भी उच्च जातियों के संगठनों द्वारा किया गया है। ऐसे में इस भारत बंद का आरक्षण विरोधी लोग समर्थन मिला।
लेकिन इसका सीधा मैसेज दलित (SC/ST) और ओबीसी समुदाय में ये जा रहा है कि आज जो लोग सड़क पर हैं वो उनके खिलाफ हैं, क्योंकि आरक्षण का फायदा दलित और ओबीसी कैटेगरी के लोगों को मिल रहा है। अगर आरक्षण खत्म होता है तो इसका असर दोनों समुदायों पर पड़ेगा।
2 अप्रैल के विरोध में BJP को फायदा
इससे पहले 2 अप्रैल को SC/ST एक्ट में बदलाव को लेकर दलित संगठन सरकार के खिलाफ सड़क पर थे। इस दौरान मध्य प्रदेश में हिंसक घटनाएं भी हुईं और करीब 10 लोगों की मौत भी हो गई थीं। लेकिन इस ‘भारत बंद’ को अगड़ी जाति के साथ-साथ ओबीसी का भी समर्थन नहीं था। ऐसे में दलितों के इस आंदोलन के खिलाफ में अगड़ी और ओबीसी समुदाय के लोग एकसाथ थे।
क्योंकि कई बड़े ओबीसी नेताओं ने SC/ST एक्ट में बदलाव को सही ठहराया था। इस आंदोलन से बीजेपी के खिलाफ कोई राजनीतिक मुसीबत पैदा नहीं हुई थी।
50 फीसदी वोटबैंक टारगेट को झटका
SC/ST एक्ट में बदलाव को लेकर दलितों के विरोध को राजनीतिक पंडित बीजेपी के लिए फायदे का सौदा बता रहे थे। क्योंकि इससे अगड़ी और ओबीसी समुदाय के लोग एक हो गए थे।
कई बीजेपी विरोधियों ने आरोप भी लगाया था कि दलित विरोधी इस आंदोलन से बीजेपी का वोटबैंक बढ़ जाएगा, और बीजेपी जो 50 फीसदी वोट फॉर्मूले पर काम कर रही है उस दिशा में ये आंदोलन लेकर जा रहा है।
आरक्षण विरोधी मैसेज से बिगड़ेगा खेल
इस फॉर्मूले से उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बीजेपी को जबर्दस्त फायदे का अनुमान लगाया जा रहा था। कहा जा रहा था कि ये सबकुछ 2019 के लिए किया जा रहा है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी वोटबैंक को एकजुट करने के लिए बीजेपी का ये नया दांव है।
आंकड़े यूपी के संदर्भ में देखें तो दावों को मिलता था, क्योंकि यहां लगभग 20% सवर्ण हैं। सबसे ज्यादा 52% ओबीसी और 21% दलित हैं। अगर सवर्ण और ओबीसी एक साथ आ जाते हैं तो बीजेपी की राह बिल्कुल आसान हो जाएगी।
OBC को साधने में जुटी है BJP
लेकिन आज (10 अप्रैल) के भारत बंद को जातीय समीकरण के आधार पर आकलन करें तो बीजेपी को इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। क्योंकि आरक्षण के विरोध में ‘भारत बंद’ से दलित के साथ-साथ ओबीसी समुदाय के लोग भी सरकार से दूर होते चले जाएंगे। क्योंकि आरक्षण का फायदा इस दोनों समुदायों को होता है।
यही नहीं, अगर ये दोनों एक साथ हो गए और फिर इनको मुस्लिमों का समर्थन मिल गया तो आंकड़ों के खेल में बीजेपी पूरी तरह से पिछड़ जाएगी। आज के भारत बंद से ओबीसी समुदाय के लोग भी पशोपेश में हैं।
हालांकि बीजेपी इतनी जल्दी चीजों को बिगड़ने नहीं देगी। बीजेपी की कोशिश होगी कि आरक्षण को लेकर हो रहे विरोध से खुद अलग करके दिखाया जाए। साथ ही SC/ST और ओबीसी समुदाय को ये मैसेज दिया जाए कि बीजेपी आरक्षण को लेकर किसी तरह के बदलाव के मूड में नहीं है।
लेकिन जो भी हो, बीजेपी के रणनीतिकार इस पर विचार तो जरूर कर रहे होंगे कि कैसे इस मसले से बाहर निकला जाए।