नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील से बेहद तीखा सवाल पूछ लिया। दरअसल, वकील ने एमएल शर्मा ने उत्तर प्रदेश स्थित उन्नाव के गैंगरेप काण्ड पर एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि बलात्कार के मामलों में ताकतवर लोगों जैसे मंत्री, सांसद या विधायक के खिलाफ पुलिस मुकदमें दर्ज नहीं करती। इस पर न्यायाधीश एसए बोवडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने पूछा कि क्या आपके किसी रिश्तेदार से बलात्कार हुआ है? कोर्ट ने वकील शर्मा के लोकस स्टैंडाई पर सवाल करते हुए यह प्रश्न पूछा। पीठ ने वकील की याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा है कि आपराधिक मामलों को लेकर जनहित याचिकाएं कैसे दायर की जा सकती हैं? पीठ ने वकील से पूछा कि उनका उन्नाव मामले से क्या रिश्ता है और वो इससे कैसे प्रभावित हैं?
पीठ ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही इस मामले में आदेश दे चुका है। कहा गया कि आपराधिक मामलों को लेकर जनहित याचिकाएं नहीं दी जा सकती हैं। बेंच की टिप्पणी के बाद अदालत में वकीलों के बीच एक असहज शांत पैदा हो गई। जब शर्मा ने अपने तर्कों के साथ अपनी बार रखी, तो खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी।
उच्चतम न्यायालय ने 11 अप्रैल को उन्नाव गैंगरेप मामले में सीबीआई जांच के लिए याचिका सुनने के लिए सहमति व्यक्त दी थी जिसमें कथित तौर पर उत्तर प्रदेश से बीजेपी के विधायक शामिल थे। शर्मा की याचिका में आरोप लगाया गया है कि बलात्कार पीड़ित के पिता को राज्य में ‘सत्तारूढ़ दल’ के आदेश पर पुलिस हिरासत में यातना दी गई और मार डाला गया था। जनहित याचिका में यह मांग भी की गई थी कि पीड़ितों को सुरक्षा और मुआवजा दिया जाए, जैसा कि निर्भया गैंगरेप केस में हुआ था।