लखनऊ: तम्बाकू तम्बाकू उत्पादों के सेवन से बढ़ती महामारी ने विकास चिंतकों, सरकारों एवं मीडिया से जुड़े व्यक्तियों के साथ जनप्रतिनिधियों को चिंतित किया है। तम्बाकू पदार्थों के सेवन से होने वाली बीमारियों एवं मौतों में कमी लाने के साथ लगातार बढ़ रहे उपभोक्ताओं की संख्या में कमी लाने के लिए समय –समय पर कई तरह के कानून बनाये गए तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा दिशा निर्देश भी दिए गएl परिणामस्वरूप देश में तम्बाकू पदार्थों के उपभोक्ताओं में तो कमी आई है किन्तु उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या में वृद्धि आयी है, जो कि चिंतनीय हैl
इसी क्रम में तम्बाकू नियंत्रण कानूनों के अनुपालन हेतु विनोबा सेवा आश्रम राज्यपाल एवं जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में प्रदेश की शहरी विकास विभाग एवं लखनऊ नगर निगम के सहयोग से तम्बाकू मुक्त लखनऊ अभियान चला रहा हैl परिणाम स्वरुप, लखनऊ नगर निगम ने एक आदेश जारी किया है जिसके माध्यम से बिना वेंडर लाइसेंस प्राप्त किये तम्बाकू उत्पाद की दुकानों को संचालित नही किया जा सकता है। आपको बता दें कि हर रोज 5500 बच्चे तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने लिए आमत्रित हो रहे हैं। तो वहीं इससे संक्रामक बीमारियों से लगाए कैंसर तक का खतरा लगातार मंडराता रहता है। तो वहीं अंतर्राष्ट्रीय संस्था गेट्स (WHO, TISS) की माने तो महिलाओं में भी तम्बाकू उत्पादों के सेवन का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। विगत वर्षों के मुकाबिल महिलाएं तम्बाकू सेवन में 2 फीसदी का इजाफा हुआ है।
तंबाकू के बढ़ते उपयोग और उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव चिंता का कारण बन गया हैं। गैर-संचारी रोग (एनसीडी) जैसे कि हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, पुरानी सांस की बीमारियां इत्यादि विश्व स्तर पर होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण हैं, जो कि तंबाकू के सेवन के साथ जुड़ी हैं। डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित डेटा के अनुसार, विश्व में हर वर्ष 38 लाख लोग एनसीडी से मर जाते हैंl
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2010 में एनसीडी से होने वाली मृत्यु की संख्या का अनुमान 53 प्रतिशत है। इन मौतों में से भारत में होने वाली मौतों का सामान्य कारण हृदय रोग और मधुमेह हैं। एनसीडी के अत्यधिक बोझ को तंबाकू के उपयोग को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ डेटा द्वारा यह स्पष्ट होता है कि तंबाकू का सेवन करने वाले लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु प्रतिवर्ष होती हैं। भारत में स्थिति समान रूप से बुरी/गंभीर हैं। यहाँ पर तंबाकू के उपयोगकर्ताओं की अनुमानित संख्या सताईस करोड़ उनचास लाख हैं, जहाँ पर तंबाकू के धूम्रमुक्त उपयोगकर्ताओं की संख्या 16 करोड़ 37 लाख और तंबाकू पीने (धूम्रपान) वालों की संख्या केवल 6 करोड़ 90 लाख तथा ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ऑफ इंडिया (गैट्स) के अनुसार धूम्रपान और धूम्रमुक्त उपयोगकर्ताओं की संख्या 42 करोड़ 3 लाख हैं। इसका मतलब यह हैं कि भारत में लगभग 35 प्रतिशत के आसपास वयस्क (सैंतालीस दशमलव नौ प्रतिशत पुरुष और बीस दशमलव तीन प्रतिशत महिलाएं) किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। भारत में (21 प्रतिशत) धूम्रमुक्त तंबाकू का उपयोग सबसे अधिक प्रचलित है।
आपको बता दें कि पूरे देश में महज लखनऊ नगर निगम ही एक ऐसा कॉरपोरेशन है जो कि वेंडर लाइसेंस और कोटपा के अनुपालन को लेकर निर्देश जारी किया है। विदित हो कि पूरे विश्व से महज पांच देशों को तम्बाकू मुक्त अभियान के लिए चयनित किया गया है। जिसमे से सम्पूर्ण भारत से लखनऊ जनपद को चयनित किया गया है। विनोबा सेवा आश्रम तम्बाकू मुक्त अभियान को लेकर लगातार कार्य कर रहा है। जबकि लोगों को जागरूक करने के लिए अपने कार्यक्रम भी चलाता रहता है।
सम्मानित स्टेकहोल्डर्स, तम्बाकू जनित बीमारियों को रोकने और उसके प्रभाव को कम करने के लिए आप सबसे सहयोग की आवश्यकता है। अपने वार्ड को साफ सुथरा और सुन्दर बनाने के साथ तम्बाकू मुक्त करने को लेकर आप लोग संकल्पित हों। नौनिहालों को बचाने के लिए और कल के सुनहरे भविष्य को लेकर तम्बाकू मुक्त लखनऊ बनाने में आप सब अपना समर्थन दें। अपने वार्डों में पान की दुकानों पर नाबालिग को तम्बाकू उत्पाद नही देने की अपील करिए। वेंडर लाइसेंस को लेकर आप सभी सम्मानित पार्षदगणों की भूमिका अति महत्वपूर्ण हैं। कोटपा एक्ट 2003 का अनुपालन हो इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करिएl जीएटीएस द्वारा आयोजित वर्ष 2010-2016 के तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार। देश में तंबाकू की खपत में 6% की कमी आई है लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य में तंबाकू उपयोगकर्ताओं में 1.6% की वृद्धि हुई है जो गंभीर चिंता का विषय है।
लखनऊ उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में से एक है जहां तंबाकू का अधिकतम उत्पादन, निर्यात और खपत है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। इसे नियंत्रित करने और इसे रोकने के लिए सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। तंबाकू की खपत को नियंत्रित करने और बीमारियों को रोकने के लिए भारत सरकार ने सीओटीपीए यानी सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पादों (विज्ञापन का निषेध और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 भी शुरू किया है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधान, और तंबाकू की बिक्री की दुकान भी टॉफी, कैंडी, चिप्स बिस्कुट, पेय आदि बेचने के लिए नहीं है। यह नाबालिग को बचाने के लिए किया गया है। , वयस्कों और समुदाय को तंबाकू के दुष्प्रभावों से और तम्बाकू उत्पादों के किसी भी प्रकार के विज्ञापन पर रोक लगाती है। माननीय राज्यपाल, जिला मजिस्ट्रेट, शहरी विकास मंत्रालय और लखनऊ नगर निगम के मार्गदर्शन में तंबाकू की खपत को कम करने और ‘तंबाकू नियंत्रण कानून’ के कार्यान्वयन के लिए विनोबा सेवा आश्रम को तंबाकू मुक्त लखनऊ अभियान चला रहा है।
इस संदर्भ में 27 अप्रैल, 2018 को मेहमानों के साथ होटल हयात रीजेंसी में डॉ। विनय गुप्ता (विशेषज्ञ तंबाकू मुद्दे केजीएमयू), प्रीती शाह (विशेषज्ञ), सतीश त्रिपाठी (राज्य सलाहकार तंबाकू सेल यूपी), हितधारकों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी। सेन गुप्ता (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन), सतीश त्रिपाठी (राज्य परामर्शदाता तंबाकू सेल यूपी), और योलान्डा सी रिचर्डसन (तंबाकू मुक्त बच्चों के लिए अभियान के उपाध्यक्ष)। योलान्डा सी रिचर्डसन वर्तमान में तंबाकू मुक्त बच्चों के अभियान के लिए वैश्विक कार्यक्रमों के उपाध्यक्ष हैं, जहां वह अभियान के अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की देखरेख करती है जो मध्य और निम्न आय वाले देशों में वैश्विक तम्बाकू खपत को कम करने पर केंद्रित है। उन्होंने साझा किया कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक तंबाकू उपभोग करने वाली आबादी है। तंबाकू मुक्त लखनऊ अभियान इस जगह पर जाना चाहिए। 201 9 तक लखनऊ तंबाकू मुक्त बनाने के लिए चर्चा के लिए चर्चा आयोजित की गई थी। केजीएमयू के डॉ विनय गुप्ता ने साझा किया कि तंबाकू से प्रभावित मुंह की समस्या का सामना करने वाले तंबाकू उपयोगकर्ताओं को। तंबाकू के उपयोग की महामारी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, भारत को तंबाकू मुक्त उत्तर प्रदेश बनाना आवश्यक है।
@शाश्वत तिवारी