नई दिल्ली : संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और वो भी पूरे हंगामे के साथ। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दल मॉब लिंचिंग पर बहस की मांग करने लगे। इसके चलते सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
इसके बाद कार्यवाही शुरू होने के पर विपक्ष ने सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे लोकसभा स्पीकर ने मंजूर कर लिया है। शुक्रवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी तो वहीं राज्यसभा में इस पर सोमवार के दिन चर्चा होगी।
सत्र पहले दिन सदन में पीएम मोदी भी मौजूद थे इस दौरान टीडीपी सांसद विशेष राज्य के दर्जे की मांग लेकर नारेबाजी करते नजर आए।
मानसून सत्र को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि उम्मीद है सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलेगी, किसी भी दल को अगर कोई समस्या है तो उसे सदन में रखे सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार है। इस सत्र में देशहित से जुड़े कई बिलों और पर फैसला होना है। हम सदन के सभी अनुभवी सांसदों से उचित सलाह और सहयोग की उम्मीद करते हैं।
इस सत्र में जहां केंद्र सरकार 18 लंबित बिलों को पास करवाने की जुगत लगाएगी वहीं विपक्ष सरकार को घेरने के लिए तैयार है। लोकसभा और राज्यसभा का सत्र शुरू होने से पहले टीएमसी और राजद ने दोनों सदनों में मॉब लिंचिंग पर बहस के लिए नोटिस दे दिया। वहीं कांग्रेस भी इस सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है।
जानकारी के अनुसार राजद सांसद जेपी यादव ने लोकसभा में मॉब लिंचिंग पर बहस के लिए नोटिस दिया है वहीं टीएमसी सांसद ने राज्यसभा में नोटिस दिया है। वैसे 22 दिन चलने वाले इस सत्र में सरकार का इरादा 18 विधेयक पेश करने का है। इन विधेयकों में गैर कानूनी डिपाजिट स्कीमों पर लगाम लगाने से लेकर एमएसएमई क्षेत्र के लिए टर्नओवर के लिहाज से परिभाषा में बदलाव करने वाले विधेयक शामिल हैं।
संसद सत्र शुरू होते ही राज्यसभा के नए सदस्यों को भी शपथ ग्रहण करवाई गई। इन नए सदस्यों में संघ विचारक राकेश सिन्हा, मूर्तिकार रघुनाथ महापात्रा और डांसर सोनल मानसिंह शामिल हैं।
मानसून सत्र को सही तरीके से चलाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के साथ सभी विपक्षी दिग्गजों की मंगलवार को बैठक हुई। सभी ने उन्हें पूर्ण सहयोग का वायदा किया। अलबत्ता कांग्रेस की अगुआई में 12 विपक्षी दलों ने फैसला लिया है कि बुधवार को वो मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश में अविश्वास का माहौल है। सरकार खुद संसद सत्र को बाधित कराती है और आरोप विपक्ष पर मढ़ती है। दलितों, महिलाओं व अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। किसानों की दुर्दशा है तो रोजगार का पता नहीं। रुपये औंधे मुंह गिर गया है तो ईवीएम को लेकर भी रोजाना नए सवाल खड़े हो रहे हैं।
नोटबंदी के दौरान अहमदाबाद के सहकारी बैंक में जिस तरह से 750 करोड़ रुपये जमा हुए, वह भी गहन चिंता का विषय है। विपक्ष ने फैसला लिया है कि सभी मुद्दों पर सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाए। खास बात है कि इसमें आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की भी मांग शामिल की गई है।
पिछले सत्र में तेलुगु देसम अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। पार्टी ने अपील की कि विपक्ष उसके प्रस्ताव की भी बुधवार को चर्चा करे। कांग्रेस नेता गुलामनबी आजाद ने कहा कि भाजपा 2014 में देश को जाति व अन्य मसलों पर बांटना चाहती थी। पिछले कुछ अर्से से फिर यही माहौल दिखाई दे रहा है।
इस सत्र में केंद्र सरकार अपने 18 बिल पास करवाने की कोशिश में रहेगी। इसके अतिरिक्त सरकार उन विधेयकों को भी मानसून सत्र में लाने का रास्ता निकालने की तैयारी में है जिन्हें लोकसभा में तो पेश किया जा चुका है, लेकिन अभी तक विभिन्न विभागों से संबंधित संसद की स्थाई समितियों के पास विचारार्थ नहीं भेजा जा सका है।
सरकार की कोशिश है कि इन विधेयकों पर भी इसी सत्र में चर्चा कराकर इन्हें पारित करा लिया जाए। इनमें उपभोक्ता संरक्षण कानून, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड और फ्यूजिटिव इकोनॉमिक अफेंडर्स बिल शामिल हैं। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड और फ्यूजिटिव इकोनॉमिक अफेंडर्स कानून को सरकार अध्यादेश के जरिये लागू कर चुकी है। अब इन्हें इस सत्र में पारित कराना सरकार की प्राथमिकता में रहेगा।
इनके अतिरिक्त भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम पर भी सबकी निगाहें रहेंगी। सरकार का मानना है कि मौजूदा कानून फैसले लेने की प्रक्रिया को धीमा करता है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पूर्व में कई बार विपक्ष से इस कानून में संशोधन के लिए समर्थन मांग चुके हैं ताकि अधिकारियों और बैंकरों को धीमी रफ्तार से निर्णय लेने के आरोपों से बचाया जा सके।
पेश होने वाले अन्य प्रमुख प्रस्तावित विधेयक
-होम्योपैथिक सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) विधेयक 2018
-इन्सॉलवेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) विधेयक 2018
-क्रिमिनल लॉ (संशोधन) विधेयक 2018
-सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स (संशोधन) विधेयक 2018
-आइजीएसटी (संशोधन) विधेयक 2018
-जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) संशोधन विधेयक 2018
-प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स (संशोधन) विधेयक 2018
-राइट टू इन्फॉरमेशन (संशोधन) विधेयक 2018
-बांध सुरक्षा विधेयक 2018
देश में गैर कानूनी डिपाजिट स्कीम पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए सरकार ने विधेयक लाने की तैयारी की है। इस विधेयक में तीन मुख्य पहलू हैं। पहला, इस तरह की स्कीमों के प्रमोशन व संचालन पर सख्त सजा का प्रावधान, डिपाजिटर्स को भुगतान में डिफाल्ट करने पर सजा और तीसरे राज्य सरकारों की तरफ से एक सक्षम संस्था के गठन का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक के जरिये तीन विभिन्न प्रकार के अपराधों को परिभाषित किया जाएगा। इनमें अनियंत्रित डिपाजिट स्कीम का संचालन, नियंत्रित डिपाजिट स्कीम में भुगतान संबंधी डिफाल्ट और अनियंत्रित डिपाजिट स्कीम में गलत जानकारियां देना शामिल हैं।
एमएसएमई डेवलपमेंट (संशोधन) बिल के तहत सरकार सालाना टर्नओवर के आधार पर विभिन्न इकाइयों की परिभाषा बदलने का प्रस्ताव कर रही है। सरकार का मानना है कि इससे न केवल कारोबार करना आसान होगा, बल्कि इस क्षेत्र की इकाइयों को नए परोक्ष कर कानून जीएसटी के साथ तालमेल बिठाने में भी आसानी होगी। फिलहाल पांच करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर वाली इकाई माइक्रो श्रेणी में आती है। जबकि पांच करोड़ रुपये से अधिक लेकिन 75 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर वाली इकाई को लघु उद्योग श्रेणी में रखा जाता है। मध्यम श्रेणी की इकाइयों के लिए टर्नओवर की सीमा 75 करोड़ रुपये से लेकर 250 करोड़ रुपये तक है। इस विधेयक के जरिये सरकार इस परिभाषा में संशोधन करना चाहती है।