नई दिल्लीः सेना के सैकड़ों जवान इन दिनों उच्चतम न्यायालय के चक्कर लगा रहे हैं। 300 से अधिक जवानों ने उन क्षेत्रों में सैन्य अभियान चलाने पर अपने खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जहां अफस्पा लागू है। कोर्ट की तरफ से भी जवानों की इस मांग का सम्मान किया गया और सुनवाई के लिए दिन सुनिश्चित कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय सेना के जवानों पर मुकदमा चलाने को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर 20 अगस्त को सुनवाई के लिए सहमत हो गई है।
बता दें कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार की उस याचिका पर विचार को उच्चतम न्यायालय तैयार हुआ था, जिसमें सरकार का दावा था कि सेना के किसी जवान या अफसर के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए उसे केंद्र से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने हालांकि सरकार की उस दलील को सिरे से नकार दिया था, जिसमें कहा गया था कि मामले में सभी राज्यों या फिर असम और मणिपुर (यहां भी अफस्पा लागू है) को पार्टी बनाया जाए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच का कहना था कि हम इस दलील से बिलकुल भी सहमत नहीं हैं।
राज्य सरकार की हालिया याचिका का महत्व इस वजह से भी बढ़ जाता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बीती पांच मार्च को शोपियां मामले में विवेचना करने पर रोक लगा दी थी। ध्यान रहे कि इसी साल 27 जनवरी को पत्थरबाजों के खिलाफ गोलीबारी के दौरान तीन नागरिकों की मौत हो गई थी।