नई दिल्ली: आपको ‘ब्लू व्हेल’ चैलेंज याद होगा जिसमें इस चैलेंज को स्वीकार करने वाले को अंत में आत्महत्या करनी होती थी। इसकी वजह दुनियाभर में कई लोगों की जानें गई। अब ब्लू व्हेल चैलेंज के बाद इन दिनों सोशल मीडिया पर एक और सुसाइड गेम ‘मोमो’ चैलेंज वायरल हो रही है। भारत में ‘मोमो’ चैलेंज के कारण अभी तक तीन लोग अपनी जान गवां चुके हैं। देश में वायरल होते इस ‘मोमो’ चैलेंज के जाल से खासकर बच्चों को बचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने माता-पिता को अपने बच्चों की ऑनलाइन और सोशल मीडिया गतिविधियों की निगरानी करने की सलाह दी है।
‘मोमो’ चैलेंज के लक्षण
1.आपका बच्चा परिवार और दोस्तों से दूरी बना रहा है।
2.बच्चा हमेशा परेशान और दुखी रहने लगा है।
3.छोटी-छोटी बातों पर मूड खराब रहना और गुस्सा होना।
4.उन एक्टिविटी में हिस्सा लेना कम कर दे, जिनसे वो पहले खुश रहता था।
5.परेशान रहना और इस वजह से कोई काम न कर पाना।
6.शरीर के किसी भी हिस्से पर चोट या कटने का निशाना होना।
मंत्रालय ने कहा, ‘मीडिया में इस प्रकार की खबरें हैं कि नया ऑनलाइन चैलेंज गेम जिसे मोमो चैलेंज कहा जा रहा है, फेसबुक पर शुरू हुआ है। जहां लोगों को अनजान नंबर से संवाद स्थापित करने के लिए कहा जा रहा है। ये सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, खासकर व्हाट्सएप पर।’
क्या है ये ‘मोमो’ चैलेंज ?
एक सोशल मीडिया यूजर के मुताबिक इस चैलेंज के दौरान यूजर को वॉट्सएप पर सबसे पहले एक ‘मिरर सेल्फी’ लेने के लिए कहा जाता है। टास्क पूरा नहीं करने पर धमकी दी जाती है कि उसका मोबाइल हैक कर लिया गया है। इसके बाद जब टास्क पूरा करते रहते हैं तो आखिरी में सुसाइड करने का चैलेंज दिया जाता है। वॉट्सऐप पर एक नंबर वायरल हो रहा है। जिसको मोमो वाट्सऐप बताया जा रहा है। इस कॉन्टेक्ट नंबर को सेव करने पर एक बड़ी आंखों वाली एक डरावनी लड़की की फोटो आती है। दावा किया जा रहा है कि जो भी इस प्रोफाइल के नंबर से बात करता है उसे चैलेंज के नाम पर सुसाइड की तरफ ले जाया जाता है। इस गेम की वजह से सुसाइड करने का सबसे पहला मामला अर्जेंटिना में सामने आया था, जब 12 साल की बच्ची ने सुसाइड किया था।
मंत्रालय ने एडवाइजरी में मां-बाप को इस चैलेंज या इसी तरह के किसी और चैलेंज के बारे में बात ना करने को कहा है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि इन बातों को सुननकर चैलेंज के बारे में बच्चों की रुचि ना पैदा हो। मंत्रालय ने सलाह दी है कि माता-पिता बच्चों से उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में पूछें और असामान्य रूप से बातों को छुपाने के व्यवहार पर नजर रखें। बच्चों के ऑनलाइन समय व्यतीत करने में अचानक वृद्धि भी चिंता की बात हो सकती है। इसके अलावा सलाह दी गई है कि बच्चों के नए फोन नंबर और ईमेल संपर्कों में आई बढ़ोतरी पर नजर रखें और इंटरनेट इस्तेमाल के बाद बच्चे के गुस्से में रहने को भी चेतावनी की तरह देखें। माता-पिता से ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी करने के लिए अच्छे साइबर / मोबाइल पेरेंटिंग सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने को कहा गया है। स्कूल में काउंसलर से संपर्क में रहें और किसी संदेह की स्थिति में तुरंत पेशेवर की सहायता लें। माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वो अपने बच्चों को ये एहसास जरूर दिलाते रहें की किसी भी मुश्किल घड़ी में वो उनके साथ खड़े हैं ताकि बच्चा आपसे समस्या को लेकर खुलकर बात कर सके।