अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉलर की मजबूती के चलते भारतीय करेंसी में भी गिरावट का दौर जारी रहा। शुक्रवार को रुपया पहली बार 71 रुपये के करीब पहुंच गया।
इसके चलते पेट्रोल-डीजल के दामों में आग लगी हुई है और यह भी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। वहीं केंद्र सरकार भी प्राकृतिक गैस के दामों में बढ़ोतरी करने जा रही है।
71 के पार पहुंचा रुपया
आज भी डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला है। डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे की गिरावट के साथ 70.95 के स्तर पर खुला है। गुरुवार को महीने के अंत में की डॉलर की डिमांड और क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने से रुपया 15 पैसे टूटकर 70.74 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ।
इंट्रा डे के दौरान रुपये ने 70.90 प्रति डॉलर का निचला स्तर छूआ, हालांकि बाद में इसमें कुछ सुधार दर्ज किया गया। वहीं रुपये के रिकॉर्ड लो पर पहुंचने से एक्सपोर्ट महंगा होने और करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ने की आशंकाएं मजबूत हो गई हैं। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 49 पैसे की गिरावट के साथ 70.59 के स्तर पर बंद हुआ था।
72 के स्तर पर पहुंचने की आशंका
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपया आज 70.61 से 71.25 की रेंज में ट्रेड कर सकता है। इस साल रुपया अब तक लगबग 10 फीसदी टूट चुका है। जानकारों का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर 72 का स्तर छू सकता है, जिससे क्रूड खरीदना और महंगा होगा।
86 के करीब पहुंचा पेट्रोल, दिल्ली में 70 के पार डीजल
शुक्रवार को दिल्ली में पेट्रोल 22 पैसे प्रति लीटर और डीजल 28 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ है। दिल्ली में पहली बार डीजल 70 रुपये के पार पहुंचा है। शुक्रवार को दिल्ली में एक लीटर डीजल 70.21 रुपये का मिल रहा है। पिछले एक महीने में दिल्ली में पेट्रोल 2.27 रुपये प्रति लीटर और डीजल 2.46 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है।
पेट्रोल के बढ़ते दाम का असर अब सीधे आम आदमी पर पड़ रहा है। पिछले एक वर्ष में पेट्रोल व डीजल के दाम तेजी से बढ़े हैं। बृहस्पतिवार को पेट्रोल की कीमत 79 रुपये प्रति लीटर से भी अधिक हो गई, जबकि डीजल की कीमत 71 रुपये तक पहुंच गई है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों का असर न केवल भोग-विलासिता की वस्तुओं, बल्कि खाद्य पदार्थों पर भी पड़ रहा है। एक वर्ष में खाद्य पदार्थों के दाम भी लगभग दोगुने तक हो चुके हैं। सब्जियों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं।
डीजल व पेट्रोल के दाम तय करने का अधिकार मिलने से पेट्रोलियम कंपनियां मनमानी पर उतर आई हैं। ऐसे में घाटा दिखाकर रोजाना ही दाम बढ़ा दिए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत काफी कम है, लेकिन सरकार उस पर इतने टैक्स लगा देती है कि दाम आसमान छूने लगते हैं।