नई दिल्ली : मालदीव में चीन के फंडिंग से तैयार हुए ब्रिज के उद्धघाटन में शामिल होने के लिए भारत ने इनकार कर दिया। मालदीव की राजधानी माले को एयरपोर्ट आईलैंड से जोड़ने वाले इस पुल के चलते एक बार फिर भारत और पड़ोसी देश के बीच तनाव की स्थिति सामने आ रही है। यही वजह है कि भारत ने आधिकारिक रूप से सिनामाले ब्रिज नाम वाले इस पुल के उद्घाटन से गुरुवार को दूर रहने का फैसला किया। मालदीव में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा ने गुरुवार को हुए उद्घाटन समारोह से खुद को अलग रखने का फैसला किया है।
भारत ने ब्रिज उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के बाद मालदीव सरकार ने कहा कि उन्हें हमारी सरकार ने उद्घाटन के आमंत्रित किया था, लेकिन वे नहीं आए। हालांकि, ब्रिज उद्घाटन में शामिल नहीं होने के पीछे मिश्रा ने कोई कारण नहीं बताया है। मालदीव ने शी जिनपिंग के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में इस ब्रिज का उद्घाटन किया।
भारत को छोड़कर श्रीलंका और बांग्लादेश के राजदूत भी इस समारोह में पहुंचे थे, लेकिन बाद में उन्होंने भी कथित रूप से मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा बदसलूकी का आरोप लगाते हुए, इस कार्यक्रम का बीच में बहिष्कार कर दिया। मालदीव विपक्ष के नेता अहमद महलूफ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि यामीन के सुरक्षाकर्मियों ने श्रीलंका और बांग्लादेश के राजदूतों की कार रुकवाते हुए, उन्हें पैदल जाने के लिए कहा। उनके अनुसार, सिर्फ चीन के अधिकारियों के कार से पहुंचने की अनुमति थी।
यामीन सरकार में मालदीव और भारत के रिश्ते अब तक के सबसे खराब स्थिति पर है। इस बीच हाल ही में बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि यदि मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव में धांधली होती है तो भारत को आक्रमण करके वहां दखल देना चाहिए। स्वामी के इस बयान के बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय ने भारतीय राजदूत अखिलेश मिश्रा को समन देकर स्पष्टीकरण मांगा था।