नई दिल्ली : एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण की जरूरत नहीं है। इस मामले में 2006 में एन नागराजन द्वारा दिए फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रमोशन पर फैसला राज्य सरकार ले।
सरकार और आरक्षण समर्थकों ने 2006 के एम. नागराज के फैसले को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग की थी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मांग पर सभी पक्षों की बहस सुनकर गत 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सरकार और आरक्षण समर्थकों का कहना है कि एम. नागराज फैसले में दी गई व्यवस्था सही नहीं है। एससी-एसटी अपने आप में पिछड़े माने जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा जारी सूची में शामिल होने के बाद उनके पिछड़ेपन के अलग से आंकड़े जुटाने की जरूरत नहीं है। जबकि आरक्षण विरोधियों ने एम. नागराज फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि उस फैसले में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दी गई व्यवस्था कानून सम्मत है।
फैसले के एक भाग पर नहीं, बल्कि फैसला आने की पूरी परिस्थितियों पर विचार होना चाहिए। उनका कहना था कि आरक्षण हमेशा के लिए नहीं है। ऐसे में पिछड़ेपन के आंकड़े जुटाए बगैर यह कैसे पता चलेगा कि सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसलिए इन्हें प्रोन्नति में आरक्षण देने की जरूरत है।