उत्तर प्रदेश की बदनाम और बेलगाम पुलिस ने एक निर्दोष नागरिक विवेक तिवारी के माथे पर गोली नहीं मारी है, बल्कि बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार के “विवेक” पर मारी है। ये वह हत्यारी पुलिस है जिसके तमाम पुलिस कर्मियों पर मानवाधिकार हनन के सैकड़ों मुकदमें अदालतों में लंबित है। इसी साल उत्तर प्रदेश पुलिस ने नोएडा के जितेन्द्र कुमार यादव को एक फर्जी मुठभेड़ में मार डाला।
उत्तर प्रदेश में अब तक एक हजार इनकांउटर हो चुके हैं और इसमें से 67 अपराधियों की मौत का सरकारी दावा किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश “अनुरुत्तरित प्रदेश” की तरह हो चुका है, जहाँ “न खाता न बही, जो पुलिस कहे-करें वही सही” ……बहुमत की ताकत, विपक्ष की कमजोरी, चंद अंधे हो चुके स्वामिभक्तों …..के मदद में बौराई सरकार का आम जनता की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है।
पूरी सरकार पगलाए हुए हाथी की तरह वह सब कुछ रौंद देना चाहती है, जो उसे पसंद न हो। हालत “कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाए…या खाये बौराए जग वा पाए बौराए”….मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि “पार्टी विद डिफरेंस” का चाल-चरित्र व चिंतन….भोथरा हो जाएगा। कभी गौरक्षा के नाम पर कभी तथाकथित अपराध रोकथाम के नाम पर…..किसी को भी मार देना, यह पागलपन क्यों?
एक नारा अखिलेश सरकार में बुलंद किया गया था….”बड़ी सी गाड़ी, साइकिल का झंडा, उसमें बैठा बडका गुंडा”…….अब तो यही काम लाइसेंसशुदा लोगों को दे दिया गया है। नारा बदल देता हूँ “पुलिस की गाड़ी, कमल का डंडा…उसमें बैठा बावर्दी गुंडा”…..क्या इसी दिन के लिए भाजपा को चुना गया था?…..इनकांउटर अपराध कम करने का शार्ट कट रास्ता कभी नहीं हो सकते…..उत्तर प्रदेश ही नहीं देश से रोजगार सिमटा है….काम नहीं है….भूखा आदमी या तो मरेगा या मारेगा।
थोड़ा सा विषयांतर कर रहा हूँ …..सरकार चाहती तो नमामि गंगे के तहत कम से कम कानपुर, उन्नाव, इलाहाबाद और बनारस में गंगा में गिरने वाले वालों का पानी ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर गंगा को कुंभ-2019 तक शुद्ध कर सकती थी, नदी तो पिछले 25 सालों से साफ हो रही है….. अरबों रूपए गंगा की सफाई में वही नेता-अफसर डकार गये, जिनकी अंतिम इच्छा यही थी/है कि उनकी अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जाएं……खैर! अब एक नया मूर्खता पूर्ण निर्णय लिया गया है कि तीन माह तक सारी ट्रेनरी बंद रहेंगी।
लाखों दैनिक मजदूर तीन माह तक क्या खाएंगे? करोडों रूपए के ऑर्डर रद्द हो गये हैं। जो रेवन्यु राज्य सरकार को मिलना था, वह भी गया। …..लेकिन अंधे और अब घटिया मानसिकता के भक्त इस पर मौन साधना कर रहे हैं। …..हालात यह बना दिए गये हैं कि अब किसी की भूख पर, किसी की मौत पर हमारी संवेदनाएं “पार्टी भक्ति” की मोहताज हो चुकी हैं। स्वामिभक्त कुत्ता भी कभी-कभी मालिक पर भौंक लिया करता है….. जो खामोश हैं वो सोच लें कि अगला नंबर उनका है…..लगता है मालिक-नेता के सहवास का मौसम चल रहा है। लोकतंत्र के बनवास की बहार आई है।……यही हाल रहे तो ऊंची अट्टालिका और महलों में रहने वाले भी नहीं बचेंगे।
….हाथों से सब्जी व अनाज का थैला तक छीन लिया जाएगा…..खैर DGP साहेब ने कहा कि गोली मारने वाला सिपाही गिरफ्तार कर लिया गया है…लेकिन मेरे पत्रकार साथियों ने बताया वह आरोपी सिपाही अपनी पत्नी के साथ थाने पर काउंटर FIR लिखाने पहुँचा है…..फिर कह रहा हूँ उठो और आवाज उठाओ नहीं तो किसी दिन तुम भी यही भुगत रहे होगे जो आज विवेक तिवारी और जितेन्द्र कुमार यादव का परिवार भुगत रहा है….प्रकृति चुप रहने का भी हिसाब-किताब रखती है।
पवन सिंह