नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई लगातार कोलेजियम के फैसले के बाद जजों की नियुक्ति में कानून मंत्रालय की ओर से टांग अड़ाए जाने से खफा हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मामले में शिकायत करने के साथ ही ऐसे सभी मामलों की समीक्षा करने का फैसला लिया है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में गठित कोलेजियम दिवाली बाद उन सभी मामलों पर गौर करेगी जिन मामलों में कोलेजियम के फैसले के बाद भी मंत्रालय की ओर से नियुक्ति नहीं जारी किया गया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति संबंधी कोलेजियम के कम से कम 12 प्रस्तावों में मंत्रालय की ओर से दखल दिए जाने की बात सामने आई है।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम करता है। जजों के लिए नामों का प्रस्ताव पूरे देश से उसे मिलता है। तय प्रक्रिया का पालन करने के बाद कोलेजियम योग्य उम्मीदवारों की लिस्ट कानून मंत्रालय को नियुक्ति के लिए भेजता है। इन नामों को अंतिम रूप चयन के पहले कोलेजियम उम्मीदवारों की योग्यता, ईमानदारी और उनके बारे में आईबी की रिपोर्ट पर विचार करता है।
खबर के अनुसार पिछले कुछ समय से कोलेजियम की ओर से जजों की नियुक्ति के लिए भेजे गए नामों में से कानून मंत्रालय चुनिंदा नामों को तो नियुक्ति पत्र जारी कर देता है जबकि कुछ नाम वह अपने स्तर पर रोक लेता है। यह कोलेजियम के अधिकारों को सीमित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। यही नहीं कानून मंत्रालय नियुक्ति पत्र जारी करने में देरी करके कई बार जजों की वरिष्ठता क्रम को भी प्रभावित कर रहा है। जस्टिस के एम जोसफ के साथ ऐसा ही हुआ था। कानून मंत्रालय ने उनकी वरिष्ठता जस्टिस इंदु मल्होत्रा, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस विनीत शरण से कम कर दी।
मिल रही खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिशों के साथ मंत्रालय द्वारा छेड़छाड़ किया जाना गंभीर विषय है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने उठाया है। जस्टिस गोगोई के नेतृत्व में कोलेजियम दिवाली बाद उन लिस्ट की भी समीक्षा करने जा रहा है, जिनकी नियुक्ति की सिफारिश की गई लेकिन कानून मंत्रालय ने उस पर मंजूरी नहीं दी। इनमें से कुछ नाम कोलेजियम की ओर से दोबारा भी भेजे जा चुके हैं लेकिन मंत्रालय ने अभी उन पर कोई फैसला नहीं लिया।