नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में बुधवार सुबह 9 बजे तब खूब होहल्ला हुआ, जब आरएसएस से जुड़े संगठन के लोग ट्रक, कार और बाइकों पर सवार होकर राम मंदिर के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए परिसर में पहुंच गए। इसका एक वीडियो भी कथित तौर पर सोशल मीडिया में साझा किया गया है जिसमें मौटे तौर पर 50 लोग भगवा झंडा लिए नजर आ रहे हैं। ये लोग नारेबाजी लगा रहे हैं, ‘मंदिर वहीं बनेगा।’ वीडियो में नजर आ रहे लोगों के गैर कानूनी रूप से परिसर में घुसने पर जेएनयू छात्र संघ ने वीसी समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। छात्र संघ का आरोप है कि उन लोगों ने ‘सांप्रदायिक नारेबारी’ कर कैंपस का माहौल खराब कर दिया। हालांकि आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (SJM) और एबीवीपी ने स्वीकार किया है कि ऐसी रैली जेएनयू के माध्यम से हुई है। बता दें कि SJM ने 9 दिसंबर को वीएचपी द्वारा बुलाए गई धर्मसभा के लिए ‘राम मंदिर संकल्प रथ यात्रा’ का आयोजन किया था। हालांकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तस्वीरों और वीडियो को यह कहते हुए फर्जी करार दिया है कि कुछ बाहरी लोग स्टाफ मेंबर्स के निवास पर पूजा के लिए आए थे।
दूसरी तरफ स्वदेशी जागरण मंच का अध्यक्ष सुशील पांचाल का दावा है कि ‘यात्रा पुलिस सुरक्षा में आयोजित की गई। अगर गार्ड और पुलिस रोकते तो वह परिसर में दाखिल नहीं हो पाते। हालांकि पांचाल ने यह भी कहा कि जेएनयू में दाखिल होने के लिए किसी की अनुमति लेने की जरुरत नहीं है। यह कोई स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) नहीं है जिसमें दाखिल होने के लिए अनुमति लेनी पड़े। जब सभी तरह के आतंकवादी परिसर में दाखिल हो सकते हैं तो हमारे कार्यकर्ता जेएनयू क्यों नहीं जा सकते?’ पुलिस का दावा है कि उनके कोई अनुमति नहीं मांगी गई।
एबीवीपी जेएनयू यूनिट के अध्यक्ष विजय सिंह ने बताया कि जेएनयू के आम छात्र भी इस रैली में शामिल थे। सिंह के मुताबिक, ‘यहां तक प्रवेश के लिए हमने भी अपना पहचान पत्र दिखाया। इसलिए यह मुमकिन नहीं कि बाहरी लोग बिना अनुमति के अंदर आए हों। सांप्रदायिकता क्या है यह तय करने का काम जेएनयूएसयू का नहीं है। जब अफजल गुरु की फांसी की सालगिरह मनाई जा सकती है तो देश के राष्ट्रीय मुद्दे जैसे राम मंदिर मु्द्दा क्यों नहीं उठाया जा सकता है?’