भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न को लेकर योग गुरु स्वामी रामदेव ने एक बार फिर सरकार को घेरा है।
रामदेव ने आरोप लगाया कि मदर टेरेसा को इसलिए यह पुरस्कार दिया गया क्योंकि वह ईसाई थीं। लेकिन संन्यासियों को यह पुरस्कार नहीं दिया गया। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या भारत में हिंदू होना गुनाह है।
रामदेव ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 70 साल में एक भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं दिया गया, चाहे वह महर्षि दयानंद, स्वामी विवेकानंद या शिवकुमार स्वामी ही क्यों न हों। देश को बड़ा योगदान देने वाले इन संन्यासियों को भी भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए था।
योग गुरु ने कहा, ‘महर्षि दयानंद और स्वामी विवेकानंद का योगदान राजनेताओं या कलाकारों से कम है क्या? आज तक एक भी संन्यासी को भारत रत्न क्यों नहीं मिला? मदर टेरेसा को दे सकते हैं क्योंकि वह ईसाई हैं, लेकिन संन्यासियों को नहीं क्योंकि वे हिंदू हैं, इस देश में हिंदू होना गुनाह है क्या?’
इससे पहले शनिवार को भी देहरादून में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, ‘पिछले 70 सालों में किसी भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं मिला है। कई संन्यासी ऐसे हैं, जिन्होंने भारत रत्न पाने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। यह दुर्भाग्य है कि किसी भी संन्यासी को आज तक भारत रत्न से गौरवान्वित नहीं किया गया है।’
इसके अलावा कार्यक्रम में बाबा रामदेव ने लोगों की आस्था को देखते हुए जल्द से जल्द भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण की मांग भी की था।
उन्होंने 2019 चुनाव से पहले भारतीय शिक्षा बोर्ड बनाए जाने की बात भी कही। राम मंदिर निर्माण में हो रहे विलंब पर योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा था, ‘भगवान श्री राम राजनीतिक मुद्दा नहीं है। न ही यह किसी पार्टी के लिए वोटबैंक हैं और न ही भगवान राम मजहबी मसला है।
राम इस राष्ट्र के स्वाभिमान हैं और इस राष्ट्र में रहने वाले हर व्यक्ति के आचरण भी हैं। भगवान श्रीराम को इस राष्ट्र में सम्मान मिलना चाहिए और जो भी कानूनी प्रक्रिया चल रही है, उसे जल्द पूरा करके एक भव्य राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए।