नई दिल्ली : राफेल डील को लेकर आज सीएजी संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करने वाली है। इस रिपोर्ट से पहले अंग्रजी अखबार द हिंदू ने बड़ा दावा किया है। द हिंदू की खबर के मुताबिक इस डील से पहले सरकार ने भ्रष्टाचार विरोधी नियम को हटा दिया था और इस डील के लिए अलग से पैसों का भुगतान किया गया था। राफेल डील में भ्रष्टाचार विरोधी नियम को अलग किए जाने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है क्योंकि मोदी सरकार लगातार भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करती आई है और डिफेंस डील को लेकर यूपीए पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है।
रिपोर्ट के अनुसार उच्च स्तरीय राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद डिफेंस प्रोक्युरमेंट प्रोसीजर के पेनाल्टी क्लॉज को हटाया गया। जिसके तहत गलत तरह से प्रभावित करने, एजेंट्स, एजेंसी कमीशन और कंपनी के अकाउंट की जानकारी हासिल करने वाले पर जुर्माना लगाया जा सकता है। लेकिन डसॉल्ट के साथ राफेल डील के लिए इस क्लॉज को हटा दिया गया था। बता दें कि 23 सितंबर 2016 को दिल्ली में भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील साइन की गई थी जिसमे फ्रांस की कंपनी एमबीडीए सप्लायर थी और भारतीय वायुसेना खरीदार थी।
आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार यह बात सामने आई है कि डिफेंस एक्विजशन काउंसिल की बैठक सितंबर 2016 को हुई थी जिसकी अध्यक्षता इसके मुखिया तत्कालीन मुखिया रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने की थी और उन्होंने ही इस संशोधन को मंजूरी दी थी। इंटर गवर्मेंटल एग्रीमेंट से जुड़े तमाम दस्तावेजों को रक्षामंत्रालय ने मंजूरी दी थी जिसे बाद में कैबिनेट के पास भेजा गया था और यहां इसे 24 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मंजूरी दी थी।
इस पूरी रिपोर्ट का एक सरकारी दस्तावेज भी सामने आया है जिसमे कॉट्रैक्ट में कुल आठ संशोधन किए गए हैं जिसपर वाइस एडमिरल अजीत कुमार ने अपने हस्ताक्षर किए हैं। जोकि उस वक्त डीएसी के सदस्य और सचिव भी थे। इसमे कहा गया है कि इस इसमे स्टैंडर्ड डीपीपी का नियम जिसके तहत एजेंसी या एजेंट द्वारा गलत तरह से प्रभाव बनाना, कंपनी के अकाउंट की जानकारी को हासिल करना आदि नियमों के खिलाफ है के क्लॉज को हटा लिया गया है। गौर करने वाली बात है कि इस क्लॉज को भारत सरकार ने हटाया था।
आपको बता दें कि आज सीएजी संसद में राफेल डील को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करने वाली है। इस रिपोर्ट के पेश होने से पहले ही कांग्रेस ने इसपर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि सीएजी के चेयरमैन राफेल डील में खुद शामिल थे ऐसे में वह जानबूझकर इस मामले में सरकार को क्लीन चिट दे रहे हैं। उन्होंने चेताया है कि हम उन तमाम अधिकारियों पर नज रख रहे हैं जो सरकार के प्रति वफादार बनने की कोशिशों में जुटे हैं।