देश की राजधानी दिल्ली में पति संग सो रही अमेरिकी महिला के साथ कथित तौर पर मकान मालिक ने डिजिटल रेप किया था। इस मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया है।
साथ ही कोर्ट ने आरोपी द्वारा महिला को ‘अविश्वसनीय गवाह’ के रूप में बताए जाने के अनुरोध को खारिज कर दिया। स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडिशनल सेशन जज ने कहा कि महिला को शादी के बाद भारत में कोई अन्य दिलचस्पी नहीं बची थी। वह इस घटना के बाद बुरी तरह टूट चुकी थी।
दरअसल, यह घटना वर्ष 2013 की है। अमेरिका और रूस के रहने वाले दो विदेशी नागरिक के साथ मकान मालिक के बेटे ने 24 जून 2013 की अहले सुबह कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया था। इस समय दोनों सो रहे थे।
इसमें एक महिला के बयान के आधार पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। आरोपी ने ट्रायल के दौरान दावा किया कि महिला के पति और उसके बीच विवाद था। इस वजह से उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवायी गई।
मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया, “पीडि़ता (महिला) की गवाही तथा अभियोजन पक्ष की ओर से अन्य गवाहों की जांच के आधार पर यह साबित होता है कि आरोपी 24 जून 2013 की सुबह 4 से 4:30 के बीच उस कमरे में गया था, जहां वह (पीडि़ता) अपने पति के साथ सो रही थी।
आरोपी ने अपनी उंगली महिला के गुप्तांग में डाल दी थी। आईपीसी की धारा 375 में रेप की संशोधित परिभाषा के तहत आरोपी का वह कृत्य बलात्कार है। इस तरह के कृत्य को 3 फरवरी 2013 के बाद रेप के तौर पर परिभाषित किया गया था। इस तरह से आरोपी को आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप/डिजिटल रेप का दोषी पाया जाता है।”
सुनवाई के दौरान एडिशनल पब्लिक प्रासीक्यूटर, उनके सहयोगी वकील करुणा नूनी और अनिवेश भारद्वाज ने तर्क दिया, “(एक) पीडि़ता की उपस्थिति नहीं होने की स्थिति में यह तथ्य अभियोजन पक्ष के मामले को समाप्त नहीं करेगी, जिसने दूसरे पीडि़त की जांच करके अपने मामले को साबित करने में सफलता पाई। इसलिए आग्रह किया जाता है कि अभियुक्तों पर जिस कृत्य का अरोप लगा है, उसमें दोषी ठहराया जाए।”
वहीं, दूसरी ओर आरोपी के वकील ने तर्क दिया, “फॉरेंसिक रिपोर्ट निगेटिव है। ऐसे में उनके मुवक्किल को निर्दोष साबित किया जाए।”
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा, “इस केस के साक्ष्यों, तथ्यों और बयानों के अधार पर यहां आरोपी के खिलाफ डिजिटल रेप का आरोप है। यद्यपि एफएसएल रिपोर्ट निगेटिव है, इसके बावजूद इस विशेष मामले के परिस्थितियों और तथ्यों का नतीजा नहीं है। इसलिए आरोपी को दोषी करार दिया जाता है।”
कोर्ट ने आरोपी के उस तर्क को ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि महिला उससे पैसे लेना चाहती थी।