नवनिर्वाचित बीजेपी सांसद और 2008 के मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर शुक्रवार को एक विशेष अदालत के समक्ष पेश हुईं।
एनआईए की विशेष अदालत के जस्टिस वी एस पडालकर ने जब ठाकुर से पूछा कि धमाके के बारे में उन्हें कुछ कहना है तो ठाकुर ने कहा, ‘मुझे कुछ नहीं पता।’
विशेष एनआईए कोर्ट ने पिछले महीने प्रज्ञा सहित सभी आरोपियों को सप्ताह में कम से कम एक बार अदालत के सामने हाजिर होने का निर्देश दिया था।
अदालत ने कहा कि डॉक्टरों और ‘पंचों’ समेत 116 गवाहों की परीक्षा की जा चुकी है और सुनवाई के दौरान आरोपी गैरहाजिर रहे और उनके वकीलों ने उनका प्रतिनिधित्व किया।
अदालत ने ठाकुर और दूसरे आरोपी सुधाकर द्विवेदी को कटघरे में बुलाया और पूछा कि क्या वे मालेगांव बम धमाके के बारे में जानते हैं जिसमें छह लोग मारे गए थे तो इसका उत्तर देते हुये उन्होंने कहा, ‘मुझे जानकारी नहीं है।’ द्विवेदी ने यही उत्तर दिया।
भोपाल से पिछले महीने लोकसभा सांसद निर्वाचित होने के बाद ठाकुर की एनआईए अदालत में यह पहली पेशी है।
इस मामले में आरोप तय होने के बाद बीते साल अक्टूबर में वह अंतिम बार हाजिर हुईं थीं। न्यायाधीश ने तब कहा था कि केवल ठोस कारण दिए जाने पर ही पेशी से छूट दी जाएगी।
ठाकुर के बेंच पर आराम से बैठने के लिए एक लाल वेलवेट का कपड़ा बिछाया गया था। जब जज ने उनसे कटघरे में आने को कहा तो उन्होंने जवाब दिया कि वह अदालत के द्वारा दी गई कुर्सी पर बैठने के बजाए खिड़की की तरफ खड़ी रहेंगी।
इस 11 साल पुराने विस्फोट मामले में एनआईए अदालत में मुकदमा चल रहा है। विशेष अदालत ने सोमवार को ठाकुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने इस हफ्ते पेशी से छूट की मांग की थी।
ठाकुर (49) ने इस आधार पर छूट मांगी थी कि उन्हें संसद में अपने निर्वाचन से संबंधित औपचारिकताएं पूरी करनी हैं, लेकिन अदालत ने कहा कि मामले में इस चरण में उनकी मौजूदगी आवश्यक है।
उनके वकील प्रशांत मागू ने गुरुवार को अदालत को बताया कि उनकी मुवक्किल उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और भोपाल से मुंबई आने में असमर्थ हैं।
अदालत ने उन्हें उस दिन पेशी से छूट दे दी और कहा कि वह उसके समक्ष शुक्रवार को पेश हों।
जज ने कहा था, ”आज (गुरुवार) पेशी से छूट दी जाती है। लेकिन उन्हें शुक्रवार को पेश होना होगा, अन्यथा उन्हें परिणाम भुगतने होंगे।”
ठाकुर की करीब सहयोगी उपमा ने बताया कि सांसद को बुधवार की रात पेट में तकलीफ के चलते भोपाल में अस्पताल में भर्ती कराया गया और गुरुवार की सुबह उन्हें छुट्टी दे दी गई। अदालत मामले में गवाहों की गवाही दर्ज कर रही है।
मामले में ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात लोग आरोपों का सामना कर रहे हैं। मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास हुए मोटर साइकिल से बंधे बमों में विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हुए थे।
पुलिस के अनुसार मोटरसाइकिल ठाकुर के नाम से पंजीकृत थी ओर इसी आधार पर उनकी 2008 में गिरफ्तारी हुई। बंबई हाईकोर्ट ने उन्हें 2017 में जमानत दे दी थी।