कांग्रेस के अगले अध्यक्ष चुने जाने को लेकर चल रही पार्टी की अंदरूनी चर्चाएं अब निर्णायक चरण में पहुंच गई हैं। अंदरखाने देश की सबसे पुरानी पार्टी को संभालने के लिए राहुल गांधी के उत्तराधिकारी के नाम पर मुहर लग गई है।
संडे गार्जियन की एक खबर के अनुसार गांधी परिवार ने ही इस पद के लिए मौजूद विकल्पों में सबसे उपयुक्त नेता को चुन लिया है।
हालांकि इसकी घोषणा होने में थोड़ा वक्त लग सकता है, क्योंकि अभी पार्टी में ‘इस्तीफे का नाटक’ चल रहा है। अब तक कांग्रेस के दफ्तर में 2019 लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की जिम्मेदारी लेने वाले करीब 140 नेताओं के इस्तीफे आ चुके हैं।
यह सिलसिला अभी थंमेगा नहीं, क्योंकि राहुल गांधी ने इसी लाइन पर अपना इस्तीफा सौंपा है।
कांग्रेस आलाकमान ने सभी नामों पर विचार करने के बाद गांधी परिवार की सलाह लेकर पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को पार्टी के अगले अध्यक्ष के तौर पर चुनने का मन बना चुका है।
सुशील कुमार शिंदे के नाम पर सहमति बनने से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलोत, जनार्दन द्विवेदी से लेकर एके एंटनी और मुकुल वासनिक तक नामों पर चर्चा की गई।
जानकारी के मुताबिक, सुशील कुमार शिंदे को आज इसके बारे में अंतिम जानकारी दी जा सकती है। इस बाबत शिंदे आज राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं।
जानकारी के अनुसार उनके नाम पर गांधी परिवार की ओर से आम सहमति मिल गई है। यहां तक कि गांधी परिवार के सहालकार, वरिष्ठ, पार्टी के प्रमुख नेताओं ने भी उन्हें यह दायित्व सौंपने की वकालत की है।
ऐसी खबरें हैं कि प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के अगले अध्यक्ष को लेकर अपना मंतव्य जाहिर कर दिया है। हालांकि वह इस घोषणा से पहले छुट्टियां मनाने के लिए परिवार के साथ देश से बाहर चली जाएंगी।
शिंदे को कभी अति महत्वकांक्षी होते नहीं देखा गया। उनको लेकर यह आम धारणा है कि उन्होंने पार्टी के निर्देशों के ऊपर जाकर कभी अपनी महत्कांक्षाओं को हॉवी नहीं होने दिए। वे पहले भी पार्टी उपाध्यक्ष के उम्मीदवार रह चुके हैं। तब उनको भैरो सिंह शेखावत से चुनौती मिली थी।
यही नहीं जब महाराष्ट्र में उनके और विलासराव देशमुख के बीच मुख्यमंत्री बनने की होड़ शुरू हुई तो पार्टी ने उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बना दिया, लेकिन उन्होंने एक शब्द बोले बगैर यह पद ले लिया। इसके बाद उन्हें कांग्रेस की सरकार में केंद्र प्रमुख पदों पर बुलाया गया।
सुशील कुमार शिंदे महाराष्ट्र के लिए जाने-माने दलित नेता हैं। आने वाले दिनों में सबसे बड़ा चुनाव महाराष्ट्र में ही होने वाला है। साथ ही वे इस बार लोकसभा चुनाव हार गए थे। ऐसे में उनकी पूरी तैयारी विधानसभा चुनावों में उतरने की भी होगी।
इतना ही नहीं एनसीपी को कांग्रेस के साथ लाने में उन्हीं प्रमुख भूमिका है। सुशील कुमार शिंदे ही वह शख्स हैं जो आने वाले विधानसभा चुनाव में एनसीपी और कांग्रेस के बीच पूल का काम करेंगे।
राहुल गांधी और सोनिया गांधी से अशोक गहलोत की मुलाकातों के बाद यह तय हो पाया कि राहुल गांधी राजस्थान में कोई उठापटक नहीं चाहते हैं।
असल में राजस्थान में दोनों पार्टियों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। ऐसे में अगर गहलोत सीएम की गद्दी छोड़ते हैं और सचिन पायलट के युवा हाथों में प्रदेश की कमान आती है तो कुछ विधायकों के टूटने का डर है।
यह कदम कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो जाएगा। इसलिए राहुल गांधी ने ऐसा करने से मना कर दिया है।
संडे गार्जियन की खबर के मुताबिक इस वक्त कांग्रेस में राहुल गांधी के बाद सबसे तगड़े अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। लेकिन वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहने के दौरान कई फैसले बिना गांधी परिवार मसौदे बगैर ले लिए थे।
इसी तरह गुलाम नबी आजाद को अध्यक्ष बनाने पर प्रतिद्वंदी पार्टी के लिए एक आसान निशाना देना साबित हो सकता है। क्योंकि हिन्दुत्व कार्ड इन दिनों चरम पर है।
एंटेनी ने खुद को स्वतः अलग कर लिया है, जनार्दन द्विवेदी ने भी बीते कुछ दिनों से खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर रखा है। ऐसे में पार्टी सुशील कुमार शिंदे पर ही भरोसा जताएगी।
साथ ही इन दिनों कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई है। खबर के अनुसार पार्टी में युवा नेताओं ने अपना अलग गुट बना लिया है। जबकि सभी अनुभवी दिग्गज एक साथ खड़े नजर आते हैं। ऐसे में कांग्रेस के अगले चयन में गांधी परिवार अपनी पूरी समझ झोंक रहा है।
इसको ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सुशील कुमार शिंदे को आगे कर सकती है क्योंकि उनकी दोनों वर्गों पर अच्छी पकड़् है।