अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन ने फेसबुक डाटा लीक मामले में 5 अरब डालर यानी तकरीबन 34 हजार करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की सिफारिश की है।
यह किसी टेक्नोलॉजी कंपनी पर सबसे बड़ा जुर्माना होगा, इससे पहले साल 2012 में फेसबुक पर 22 मिलियन डालर यानी 154 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका गया था। फेसबुक पर साढ़े आठ करोड़ यूजर्स का डाटा लीक करने का आरोप लगा था।
अमेरिकी फेडरेल ट्रेड कमीशन ने 3-2 वोटों के साथ इस जुर्माने को मंजूरी दी है। लेकिन इसे मंजूरी मिलने से पहले न्याय विभाग से स्वीकृति मिलनी जरूरी है।
वहीं फेसबुक ने भी इस साल की शुरुआत में ‘उपयोगकर्ता डाटा व्यवहार’ पर कानूनी निबटारे के लिये तीन से पांच बिलियन डालर यानी 500 करोड़ डालर जुर्माना राशि लगने का अनुमान लगाया था।
फेसबुक पर ब्रिटिश कंसल्टेंसी फर्म कैंब्रिज एलानिटिका को डाटा लीक करने का आरोप है और इस मामले में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की अमेरिकी संसद में पेशी भी हो चुकी है।
साल 2018 में लंदन की पॉलिटिकल कंसल्टेंसी फर्म कैंब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक का डाटा लीक होने की खबरों के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया था।
इसके बाद कई जांच हुईं और फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इसके लिए माफी भी मांगी। राजनीतिक सलाहकार कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान के लिए काम किया था।
वहीं अब यह मामला अमेरिकी न्याय विभाग के सिविल डिवीजन को रिव्यू के लिये भेजा जाएगा, जहां उसकी मंजूरी ली जाएगा। हालांकि इसमें कितना वक्त लगेगा, इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल है।
जब यह मामला खुला था, उस वक्त फेसबुक ने कहा था कि उसे कैंब्रिज एनालिटिका की डाटा चोरी की जानकारी नहीं थी, लेकिन बाद में ये सामने आया था कि फेसबुक को कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा यूजर्स की डाटा चोरी की पूरी जानकारी थी, लेकिन कंपनी ने इसे दबाए रखा।
ब्रिटिश अखबार ऑब्जर्वर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि फेसबुक को इस मामले की पूरी जानकारी थी और कैंब्रिज एनालिटिका को लेकर फेसबुक के अधिकारियों के बीच कई बार बैठक भी हुई थी।
यह बैठक फेसबुक के बोर्ड मेंबर मार्क आंद्रेसीन और कैंब्रिज एनालिटिका के अधिकारी क्रिस्टोफर वाइली के बीच हुई थी।
गौरतलब है कि कैंब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक के करीब 8.7 करोड़ यूजर्स का डाटा चोरी करने का खुलासा हुआ था।
फेसबुक के इस डाटा लीक मामले की जांच कर रही फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) ने कहा था कि फेसबुक ने 2011 में तैयार हुए सेफगार्ड यूजर्स प्राइवेसी के नियमों का उल्लंघन किया है।
दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया नेटवर्क फेसबुक को अमेरिका समेत अन्य देशों में भी यूजर्स की प्राइवेसी के उल्लंघन के मामले में पूछताछ और जांच का सामना करना पड़ रहा है।
जुलाई की शुरुआत में फेसबुक पर जर्मनी सरकार ने आरोप लगाया था कि जर्मनी में फेसबुक अवैध सामग्री वाले कन्टैंट दिखा रही है, जो इंटरनेट ट्रांसपेरेंसी कानून का उल्लंघन हैं, जिसके बाद अथॉरटीज ने फेसबुक पर 2.3 मिलियन डॉलर (लगभग 15 करोड़ 83 लाख रुपए) का जुर्माना लगाया है।