घाटी में जारी की गई एडवाइजरी के बाद से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। मुख्यधारा के सभी राजनीतिक दलों में उठापटक का दौर जारी है।
एक ओर शुक्रवार को पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर नीति पर काम करने की नसीहत दी थी।
वहीं शनिवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की।
मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोगों से हम बस इतना कहेंगे कि सब्र से काम लें, हम 35 ए को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं। जब हम अधिकारियों से पूछते हैं, तो वह कहते हैं कि कुछ हो रहा है, लेकिन क्या हो रहा है इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।
सोमवार को जब संसद की कार्यवाही शुरू हो तो केंद्र को सदन में इस बात का जवाब देना होगा कि ऐसा क्या हो गया कि अमरनाथ समेत अन्य धार्मिक यात्राएं रोकी जा रही हैं।
साथ ही पर्यटकों को वापस भेजा जा रहा है। हमें संसद में इस बात की जानकारी सरकार में बैठे जिम्मेदारों से चाहिए। साथ ही सरकार लोगों को बताए कि डरने की जरूरत नहीं है।
गृह विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी करने के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती इसे लेकर सबसे पहले आगे बढ़ीं। वह घर से पैदल ही नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला से मिलने जाने लगीं तो सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया और पैदल जाने कि बजाय गाड़ी से जाने की सलाह दी। बाद में वे अब्दुल्ला से मिलने पहुंचीं।
महबूबा ने बताया कि फारूक की तबीयत खराब होने की वजह से वे सर्वदलीय बैठक नहीं बुला सके, लेकिन उन्होंने आश्वस्त किया है कि शनिवार को उमर अब्दुल्ला के लौटते ही सभी दलों की बैठक बुलाई जाएगी ताकि वर्तमान स्थिति पर चर्चा की जा सके। इसके बाद वे सज्जाद गनी लोन के घर गईं।