खंडवा : सरकार ने बैंकिंग सेक्टर के लिए शुक्रवार (20 अगस्त) को कई बड़े ऐलान किए। उन में से ही एक ऐलान बैंकों के विलय का भी था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4 प्रमुख सरकारी बैंकों पीएनबी, केनरा, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक में छह अन्य बैंकों के विलय की घोषणा की। 10 बैंकों के मर्जर का फैसला देश के बैंकिंग इतिहास में दूसरा बड़ा फैसला है। 50 साल पहले जुलाई 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। सरकार की बैंकों के विलय की घोषणा बाद बैंकिंग सेक्टर की ट्रेड यूनियनों ने सरकार के इस फैसले पर विरोध जाता। ट्रेड यूनियनों की माने तो मौजूदा सरकार ने मन माने फैसले लेकर देश में अघोषित आपातकाल लगा दिया हैं। खंडवा में भी बैंककर्मियों ने काली पट्टी बांध कर और नारे लगा कर सरकार के फैसले का विरोध जताया।
बैंकिंग सेक्टर की ट्रेड यूनियनों की अंब्रेला बॉडी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने सरकार द्वारा घोषित बैंकों के विलय की योजना के विरोध में शनिवार को देश भर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान किया । यूएफबीयू के बैनर तले बैंक कर्मचारियों के 9 संगठन मर्जर के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन कर रहे हैं ।उन्हीमें से एक ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (AIBEA) भी हैं। यूएफबीयू प्रदेश सचिव सचिव प्रमोद चतुर्वेदी ने कहा कि मौजूदा सरकार मन माने फैसले ले रही हैं उन्हें सरकार के इस कदम को अघोषित आपातकाल बताया हैं। आप को बतादें प्रमोद चतुर्वेदी स्वतंत्रा संग्राम सेनानी और पत्रकारिता की महान हस्ती माखनलाल चतुर्वेदी के पोते हैं । चतुर्वेदी बताते हैं कि पहले भी नोटबंदी के समय सरकार ने बैंक को बताए बिना ही फैसला ले लिया हालांकि नोटबंदी के बाद भी सरक़ार का मकसद पूरा नहीं हुआ और पूरा पैसा बैंको में पास आगया। उन्होंने सवाल खड़े किया कि सरकार ने एक हजार और पांच सौ के नोट बंद कर दो हजार का नोट शुरू कर दिया इस से कौनसी आतंकी गतिविधियां रुक गई। चतुर्वेदी ने सरकार के फैसले को अघोषित आपातकाल बताते हुए कहा कि सरकार की नीतियां गलत हैं। देश में जो बैरोजगारी हैं वे और बढ़ेगी। इस फैसले से कई लोगों की जॉब ख़त्म हो जाएगी जिन्हें रोजगार की उम्मीद थी उन्हें रोजगार नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की कोई नीति होती हैं तो ऐसे पहले संसद में या अन्य मंचो पर चर्चा होती हैं उसके बाद उस पर इम्लीटेंशन होता हैं। पर मौजूदा सरकार सारे फैसले अचानक ले रही हैं इस से ऐसा लगता हैं की देश में अघोषित आपातकाल की स्थिति हैं। शनिवार को देश भर में बैंक कर्मचारी भारी विरोध प्रदर्शनकिया।