नई दिल्ली: असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट को जारी कर दिया गया है। इस लिस्ट में 19 लाख लोगों का नाम नहीं है, जिसके बाद इन तमाम लोगों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से इन लोगों को 120 दिन का समय दिया गया है कि वह अपना पक्ष रख सकते हैं। यही नहीं सरकार ने फैसला लिया है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं है उन्हें सरकार कानूनी मदद भी मुहैया कराएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस में जिन लोगों के नाम नहीं हैं और उन्हें कानूनी मदद की जरूरत है तो सरकार की ओर से यह मदद मुहैया कराई जाएगी।
गृह मंत्रालय की ओर से ट्वीट करके कहा गया है कि राज्य सरकार ने भी इस बाबत उचित व्यवस्था की है, जिन लोगों का नाम एनआरसी की फाइनल लिस्ट में नहीं है उनकी कानूनी मदद के लिए राज्य सरकार ने भी इंतजाम किए हैं। उन्हें डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज की ओर से हर तरह की मदद मुहैया कराई जाएगी। इसके अलावा सरकार की ओर से साफ किया गया है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं है, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और ना ही बंधक बनाया जाएगा। ये लोग एनआरसी में उनका नाम शामिल नहीं किए जाने को लेकर अपने सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं
ट्वीट में कहा गया है कि एनआरसी में जिन लोगों के नाम नहीं हैं उन्हें किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जबतक कि ये लोग कानून अपने तमाम मौजूदा विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस दौरान ये लोग पूर्व की तरह हासिल सभी अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसा कि देश के किसी भी आम नागरिक को हासिल है। ये लोग रोजगार में अधिकार, शिक्षा में अधिकार और संपत्ति में अधिकार का भी इस्तेमाल तबतक कर सकते हैं।
एक अन्य ट्वीट में गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि 200 नई फॉरेनर ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है, जहां पर असम के लोगों के मामलों की सुनवाई होगी। इसके लिए पर्याप्त न्यायिक प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है, जिससे कि इस फैसले से प्रभावित लोगों को 8 अगस्त के बाद 120 दिनों तक अपनी बात रख सके। बता दें कि पहले से 100 फॉरेन ट्रिब्यूनल कार्यरत हैं, लेकिन सरकार ने 200 नई फॉरेन ट्रिब्यूनल को स्थापित करने का फैसला लिया है, जिसने अपना काम करना शूरू कर दिया है।
बता दें कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस की फाइनल लिस्ट को 30 अगस्त को जारी किया गया है, जिसमे 19 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं हैं। एनआरसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने कहा कि कुल 31121004 एनआरसी में शामिल किए जाने के योग्य हैं, जबकि 1906657 जिन्होंने अपना दावा पेश नहीं किया है, उन्हें इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। बता दें कि इस लिस्ट को इसलिए तैयार किया गया है ताकि भारत में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को बाहर किया जा सके, जोकि गैर कानूनी तरीके से बांग्लादेश से भारत आए थे।