लखनऊ: पूर्व केंद्रीय गृहराज्यमंत्री और बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद पाड़ित छात्रा ने पुलिस जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उसने इस मामलें में पुलिस पर केस को कमजोर करने का आरोप लगाया। उसने कहा कि उसे जिस बात का डर था वो ही हुआ। कोई न्याय नहीं हैं। उसने पत्रकारों से पुलिस द्वारा चिन्मयानंद पर रेप की कोई धारा नहीं लगाने के संदर्भ में ये कहा।
23 साल की पीड़ित छात्रा ने कहा कि मैंने एसआईटी को विस्तार से बताया था कि मेरे साथ रेप किया गया है। इसके बावजूद अभी तक आरोपी के खिलाफ रेप की धारा 376 नहीं लगाई गई। मुझे नहीं पता कि चिन्मयानंद की गिरफ्तारी के पीछे क्या योजना है, मैं एसआईटी की जांच से खुश नहीं हूं।
पुलिस ने चिन्मयानंद की शिकायत पर छात्रा के खिलाफ भी वसूली का मामला दर्ज किया है। इस मामले में भी पुलिस ने महिला के जानने वाले तीन लोगों को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि वे उसके(छात्रा) खिलाफ आगे कार्रवाई करने के लिए और सबूत की तलाश कर रहे हैं। पीड़ित छात्रा ने इस पर कहा कि मेरा वसूली से कोई लेना-देना नहीं है। वो चिन्मयानंद के बचाने के लिए ये सब कर रहे हैं।
पीड़िता ने हालांकि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की। उन्होंने कहा कि योगी जी के अच्छे इंसान है और उनके वजह से ही ये संभव हो पाया। चिन्मयानंद की गिरफ्तारी को लेकर उन्होंने ये बात कही। लेकिन इसके साथ ही लॉ की छात्रा ने इसके साथ ही कहा कि मुझे दुख है कि स्वामी चिन्मयानंद का नाम योगी आदित्यनाथ के साथ जुड़ा हुआ है। पुलिस ने महिला द्वारा सौंपे गए वीडियो के आधार पर चिन्मयानंद के खिलाफ कार्रवाई की। महिला ने दावा किया कि उसने अपने चश्मे में एक खुफिया कैमरा लगाकर बीजेपी नेता की करतूत का वीडियो बनाया।
गौरतलब है कि 23 अगस्त को शाहजहांपुर से लॉ की छात्रा लापता हो गई थी। इसके एक दिन बाद लड़की ने सोशल मीडिया में वीडियो पोस्ट कर बताया था कि संत समुदाय का एक प्रभावशाली नेता उसे परेशान कर रहा है और मारने की धमकी दे रहा है। छात्रा के पिता ने बाद में चिन्मयानंद पर उनकी बेटी और अन्य छात्राओं के शोषण का आरोप लगाया था। 27 अगस्त को लड़की के पिता की शिकायत के आधार पर चिन्मयानंद के खिलाफ आईपीसी की धारा 364(अपहरण या हत्या के लिए अपहरण) और धारा 506(आपराधिक धमकी) के तहत केस दर्ज किया था। 30 अगस्त को राजस्थान में लॉ स्टूडेंट का पता चला और बाद में उसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी शिकायतों के आधार पर यूपी सरकार को एसाआईटी का गठन करने का आदेश दिया।