इंदौर : उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और इंदौर के प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर ट्रस्टों की तरह अब मध्य प्रदेश के तीन प्रमुख धार्मिक स्थलों के संरक्षण, प्रबंधन व देखरेख के लिए अधिनियम और अलग-अलग ट्रस्ट का गठन किया जाएगा।
इनमें भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव, ओंकारेश्वर मंदिर और खंडवा स्थित धूनी वाले दादा धाम शामिल हैं।
फिलहाल इन तीनों स्थलों की देखभाल स्थानीय स्तर के लोगों द्वारा बनाई गई समितियां कर रही हैं, लेकिन इनमें आए दिन सामने आने वाले विवादों के कारण आस्था और गरिमा को ठेस पहुंचती है।
इन स्थलों के सुव्यवस्थित प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन यह कवायद कर रहा है। इस आशय का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा गया है। जल्द ही यह प्रस्ताव मंत्रिमंडल में रखा जाएगा।
इन धार्मिक स्थलों के संरक्षण और प्रबंधन की जिम्मेदारी कलेक्टरों को मिलेगी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इन सभी धार्मिक स्थलों का प्रबंधन नए अधिनियम के तहत किया जाएगा। इन धार्मिक स्थलों के परिसर और इनकी संपत्ति का रखरखाव, देखभाल आदि कार्य नए अधिनियम के तहत किए जाएंगे।
जानापाव
भगवान परशुराम की जन्मस्थली इंदौर-मुंबई हाईवे पर मानपुर के पास जानापाव गांव में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला पर भगवान परशुराम की जन्मस्थली बताई जाती है। माना जाता है कि परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि ने इस पर्वत पर तपस्या की थी।
ओंकारेश्वर
भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक खंडवा जिले में मोरटक्का के पास नर्मदा नदी के तट पर भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर मंदिर है। ओंकारेश्वर मंदिर के अलावा यहां ममलेश्वर सहित कई और प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर भी हैं।
धूनी वाले दादाजी धाम
वर्षों से जल रही अखंड धूनी निमाड़ के प्रसिद्ध संत धूनी वाले दादा के नाम पर खंडवा में दादा धाम बना हुआ है। यहां वर्षों से अखंड धूनी जल रही है। देशभर में धूनी वाले दादा के अनुयायी हैं और हर साल गुरु पूर्णिमा और विशेष पर्वों पर यहां श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
पुजारियों की नियुक्ति भी करेंगे
तीनों धार्मिक स्थलों के बेहतर प्रबंधन और रखरखाव के लिए ही अधिनियम बनाकर ट्रस्ट का गठन किया जाएगा। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इन ट्रस्टों में संबंधित कलेक्टरों को प्रशासक बनाया जाएगा और पुजारियों की नियुक्ति भी ट्रस्ट की ओर से ही होगी। – आकाश त्रिपाठी, संभागायुक्त