नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर आर्टिकल-370 हटने का असर पड़ना शुरू हो गया है। 31 अक्टूबर के बाद इस राज्य के केंद्र शासित प्रदेश के रूप में परिवर्तित होते ही इनसे वे सारी सुविधाएं छिन जाएंगी, जिन्हें आजीवन प्राप्त करने के लिए इन्होंने ही नियम बना रखे थे और उसे अपनी सुविधानुसार बार-बार बदलते भी रहे थे। राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर इस बदलाव का सीधा असर पड़ा है, जिन्हें जीवन भर के लिए मिले आलीशान सरकारी बंगलों को खाली करना पड़ रहा है। जाहिर है कि इन पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सत्ता में रहते अपने लिए जो खास कानून बना रखे थे, वह अब बीते दिनों की बात हो चुकी है और अब वहां भी वही नियम लागू हो रहा है, जो पूरे देश में प्रभावी है। इसका सबसे पहला असर गुलाम नबी आजाद पर पड़ा है, जिन्होंने श्रीनगर स्थित आलीशान सरकारी बंगला खाली भी कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि जब महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की रिहाई होगी तो उन्हें अपने निजी आवासों में ही जाना पड़ेगा।
जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त को आर्टिकल-370 हटने के ठीक पहले ही अपने आलीशान सरकारी बंगलों से हिरासत में लेकर दूसरे सरकारी ठिकानों पर नजरबंद कर दिए गए थे। इन दोनों के कब्जे में अभी भी श्रीनगर के वीवीआईपी इलाके गुपकर रोड में बड़े सरकारी बंगले हैं। लेकिन, जानकारी के मुताबिक 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनते ही इन्हें अपने आलीशान सरकारी आवास खाली करने पड़ जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एस्टेट्स डिपार्टमेंट ने इन बंगलों में मौजूद सरकारी संपत्तियों का आकलन भी कर लिया है, जिसमें बेहतरीन फर्नीचर, महंगे गजेट्स और अत्याधुनिक जिम में मौजूद उपकरण शामिल हैं।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों ने राज्य में अपने लिए ऐसे नियम बना रखे थे, जिसके तहत उन्हें जीवन भर मुफ्त में आलीशान सरकारी बंगलों और बाकी सुविधाएं मिलना तय था। इसकी शुरुआत 1984 में जम्मू-कश्मीर स्टेट लेजिस्लेचर मेंबर्स पेंशन ऐक्ट पास करके किया गया था, जिसे 1996 तक कई बार संशोधित किया गया और उसमें विशेष भत्ते और विशेषाधिकार जुड़ते चले गए। लेकिन, जैसे ही 1 नवंबर से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून लागू होगा इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को प्राप्त सारे विशेषाधिकार भी समाप्त हो जाएंगे और उनके पास जनता के पैसों पर जिंदगी भर का जुगाड़ बंद हो जाएगा। इस दौरान गुलाम नबी आजाद को छोड़कर राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सरकारी बंगलों के आधुनिकीकरण और नवीनीकरण के नाम पर अपनी जरूरतों के मुताबिक जनता के करोड़ों रुपये भी फूंक डाले थे।
कांग्रेस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद श्रीनगर में मुफ्त में मिले सरकारी बंगला खाली करने वाले प्रदेश के पहले नेता बन गए हैं। उन्होंने श्रीनगर के गुपकर रोड इलाके में स्थित रेंट-फ्री सरकारी आवास खाली कर दिया है। आजाद नवंबर 2005 से जुलाई 2008 तक जम्मू-कश्मीर के सीएम रहे थे। तब से उनका गुपकर रोड स्थित जम्मू-कश्मीर बैंक के गेस्टहाउस पर आधिकारिक कब्जा था। हालांकि, वे श्रीनगर में नहीं रहते हैं, लेकिन वे अपने निजी और पार्टी कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल करते थे।
नेशनल कांफ्रेंस के दिग्गज नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के कब्जे में अभी कोई सरकारी बंगला नहीं है। वे अपने निजी आवास में रहते हैं, जहां फिलहाल उन्हें नेशनल सेफ्टी ऐक्ट के तहत नजरबंद किया गया है। वैसे जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते वो मुफ्त में मेडिकल सुविधा, ट्रांसपोर्ट और दूसरे भत्तों का लाभ जरूर उठाते रहे हैं।