नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसकी तस्वीर सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुलाकात के बाद संभवत: साफ हो जाएगी। सूबे में शिवसेना और भाजपा के बीच जारी तनातनी ने अचानक पवार को किंगमेकर बना दिया है।
शिवसेना और एनसीपी के बीच नए सिरे से पक रही सियासी खिचड़ी से भाजपा खेमा पहली बार चिंतित हुआ है। दरअसल चर्चा है कि शिवसेना ने एनसीपी के समक्ष मिलकर सरकार बनाने और सरकार का नेतृत्व करने का भी प्रस्ताव दिया है। हालांकि भाजपा को भरोसा है कि पवार अंत समय में शिवसेना को गच्चा देंगे।
महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना और भाजपा के बीच जारी शह और मात के खेल में पवार की भूमिका बेहद अहम हो गई है। चर्चा है कि भाजपा से नाराज शिवसेना ने पवार के समक्ष एनसीपी की अगुवाई में सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव पर विचार करने से पूर्व एनसीपी चाहती है कि शिवसेना सार्वजनिक तौर पर भाजपा से संबंध तोड़ने की घोषणा करे। शिवसेना के इस प्रस्ताव के बाद एनसीपी ने पूरे मामले में कांग्रेस से बातचीत का मन बनाया है। इसी कड़ी में सोमवार को पवार और सोनिया की अहम मुलाकात होने वाली है।
भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि यह ठीक है कि शिवेसना, राकांपा और कांग्रेस के साथ आने पर इनकी संयुक्त सीटों की संख्या बहुमत से बहुत ज्यादा होगी। इसके बावजूद पार्टी शिवसेना की तीखी बयानबाजी, राकांपा नेताओं से मुलाकात को फिलहाल दबाव की राजनीति ही मान रही है। पार्टी को लगता है कि संबंधों में कड़वाहट बढ़ने के बाजवूद शिवसेना राकांपा-कांग्रेस से हाथ मिलाने का फैसला नहीं करेगी।
24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से दोनों गठबंधन साझीदारों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर गतिरोध बना हुआ है। इस चुनाव में 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना ने 56 और भाजपा ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की। राज्य की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नौ नवंबर को खत्म हो जाएगा।
महाराष्ट्र में सरकार के गठन पर खींचतान के बीच भाजपा और शिवसेना ने कवायद तेज कर दी है। सोमवार का दिन सियासी हलचलों से भरा रहेगा, क्योंकि शिवसेना नेताओं के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने का कार्यक्रम है। वहीं देवेंद्र फडणवीस भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना इस गतिरोध को अब और लंबा खींचने के मूड में नहीं है। इसलिए वह चाहती है कि भाजपा आलाकमान चुप्पी तोड़े और अपनी बात साफ करे। इसलिए वह राज्यपाल से मुलाकात कर सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने को कहेगी। सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिन में गतिरोध समाप्त हो सकता है। वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने एनसीपी नेता अजीत पवार को टेक्स्ट मैसेज करके राज्यपाल के पास दावा पुख्ता करने की तैयारी की है।
इससे पहले अपनी बात पर अड़ी शिवसेना ने कहा कि वह भाजपा से केवल मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही बात करेगी। संजय राउत ने कहा कि गतिरोध बना हुआ है और सरकार के गठन को लेकर अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। राउत ने दावा किया कि शिवसेना के पास 170 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। आंकड़ा 175 भी हो सकता है। पार्टी के मुखपत्र में राउत ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करके दिखाए। अगर शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं होता तो भाजपा को 75 से अधिक सीटें नहीं मिलतीं।
सरकार के गठन में हो रही देरी के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे वर्षा से प्रभावित इलाकों का दौरा करने चले गए हैं। फडनवीस रविवार को अकोला और ठाकरे औरंगाबाद जिले में पहुंच और बेमौसम हुई बरसात के चलते किसानों को हुए नुकसान का जायजा लिया। औरंगाबाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आने वाले दिनों में पता चल जाएगा कि शिवसेना सत्ता में आती है या नहीं।
शिवसेना और राकांपा के मिल कर सरकार बनाने की चर्चाओं के बीच राकांपा नेता अजीत पवार को शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने मैसेज भेजा है। हालांकि यह संदेश औपचारिक है और इसमें लिखा है नमस्कार मी संजय राउत, जय महाराष्ट्र। पवार ने कहा कि इसका आशय है कि मुझे उन्हें फोन करना चाहिए। मैं फोन करके देखता हूं। शिवसेना के 170 विधायकों के समर्थन के दावे पर उन्होंने कहा कि वह इस आंकड़े के बारे में नहीं जानते। ।