नई दिल्ली : महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रही उठापटक में हर दिन नए उलटफेर हो रहे हैं। भाजपा शिवसेना को नए-नए विकल्प दे रही है, लेकिन बावजूद इसके दोनों के बीच मतभेद खत्म होते नहीं दिख रहे हैं। एक तरफ जहां शिवसेना दावा कर रही थी कि उसके पास 170 विधायकों का समर्थन है और वह अन्य दलों के साथ भी संपर्क में है तो उसके बाद अब भाजपा के नेता की ओर से बड़ा बयान आया है। हालांकि भाजपा को अभी भी उम्मीद है कि शिवसेना उसके साथ सरकार गठन में शामिल होगी, लेकिन माना जा रहा है कि इसके साथ ही भाजपा ने भी अन्य विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है।
टाईम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि भाजपा अभी भी उम्मीद कर रही है कि शिवसेना उसके साथ आएगा लेकिन इसके साथ ही भाजपा एनसीपी से भी संपर्क कर सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं होगी कि वह सदन में अपना बहुमत साबित कर सकती है तो वह सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेगी। भाजपा नेतृत्व ने यह फैसला ले लिया है कि अगर बहुमत को लेकर रास्ता साफ नहीं होता है तो हम सरकार बनाने की कोशिश नहीं करेंगे।
भाजपा नेता ने बताया कि हमे पता है कि हमारे पास नंबर नहीं हैं। हमे अभी भी उम्मीद है कि शिवसेना हमारे साथ आएगी। लेकिन हम एनसीपी से भी संपर्क कर सकते हैं, उन्होंने 2014 में हमारी मदद की थी। अगर हम अपने प्रयोग में विफल होते हैं तो सरकार बनाने का दावा पेश करना वाजिब नहीं होगा। हम ऐसी किसी स्थिति में नहीं पड़ना चाहते हैं जहां पार्टी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़े। भाजपा नेता ने कहा कि 24 अक्टूबर को नतीजे आने के बाद शिवसेना को मनाने की कोई कोशिशें की गई, लेकिन उनकी तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया। हमे लगता है कि शिवसेना की मांग वाजिब नहीं है, 288 सीटों में से शिवसेना ने सिर्फ 56 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा ने 105 सीटों पर जीत हासिल की है।
प्रदेश में सरकार गठन पर भाजपा नेता ने कहा कि भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त है कि राज्यपाल प्रदेश में सरकार बनाने के सभी विकल्पों पर विचार करेंगे। नियमानुसार उन्हें सबसे बड़े दल को पहले सरकार बनाने का न्योता देना चाहिए, इसके बाद वह दूसरे सबसे बड़े दल को आमंत्रित कर सकते हैं। जब सभी विकल्प खत्म हो जाएं तो वह प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की संस्तुति कर सकते हैं।