नई दिल्ली/मुंबई : महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की स्थिति को टालने के लिए सरकार बनाने को लेकर हलचल तेज है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज NCP प्रमुख शरद पवार से फोन पर बात की है और महाराष्ट्र में सरकार गठन के मुद्दे पर आगे की चर्चा के लिए पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं को अधिकृत किया है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल NCP प्रमुख शरद पवार के साथ चर्चा करने के लिए शाम तक मुंबई पहुंचेंगे। कांग्रेस के तीनों वरिष्ठ नेताओं की रिपोर्ट पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अंतिम फैसला लेंगी।
इधर, टीवी रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि अगर आज शाम 8:30 बजे तक एनसीपी सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर पाती है तो राज्यपाल प्रदेश के चौथे बड़े दल कांग्रेस को न्योता नहीं देंगे। एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना में आम सहमति नहीं बनती है तो गवर्नर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि राजभवन में इसको लेकर तैयारी भी हो गई है। अगर इस हिसाब से देखें तो एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के पास आपसी मतभेदों को भुलाकर आम सहमति बनाने के लिए बस कुछ ही घंटे बचे हैं।
सरकार गठन का ‘खेल’ रोचक होता जा रहा है। बीजेपी के सरकार बनाने से इनकार के बाद पहले शिवसेना और अब एनसीपी को गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी का ऑफर मिला है। एनसीपी और शिवसेना में सरकार गठन के लिए काफी हद तक सहमति बनती दिखी है, पर बात अब कांग्रेस के समर्थन पर अटकी है। पार्टी ने सोमवार को दिल्ली और महाराष्ट्र में बैठकें कीं, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। खुद सोनिया गांधी ने शाम को बैठक की थी पर आम राय नहीं बन सकी। आज फिर कांग्रेस में हलचल तेज है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी अब भी शिवसेना संग जाने को लेकर पसोपेश से बाहर नहीं निकल पा रही।
आज सुबह कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल सोनिया गांधी के घर पर पहुंचे। पूर्व डिफेंस मिनिस्टर एके एंटनी समेत कई वरिष्ठ नेताओं के साथ सोनिया गांधी ने बैठक की। दरअसल, सोनिया गांधी को अंतिम फैसला लेने में मुश्किल हो रही है क्योंकि पार्टी अपने ही भीतर दो धड़ों में उलझी दिख रही है। अब कांग्रेस के तीनों नेताओं की पवार से मुलाकात पर बहुत कुछ निर्भर करेगा, जिसके आधार पर सोनिया भी अंतिम फैसला लेंगी।
Congress has no moral responsibility to form a govt in Maharashtra. Putting any blame on us for the instability is meaningless.
Its the failure of BJP and ShivSena which has brought the state on the doorstep of President rule.#MaharashtraPoliticalCrisis— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) November 12, 2019
हर गुजरते घंटे के साथ महाराष्ट्र की सियासत में अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। आज शाम साढ़े 8 बजे तक एनसीपी को सरकार गठन के लिए जरूरी समर्थन गवर्नर के समक्ष पेश करना होगा। इससे पहले शाम 4 बजे कांग्रेस और एनसीपी के नेता मुंबई में निर्णायक बैठक करने वाले हैं। दरअसल, कांग्रेस की एक लॉबी का मानना है कि सेक्युलरिज्म की उसकी छवि शिवसेना के साथ जाने से खराब होगी और लंबे समय में उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, महाराष्ट्र के ज्यादातर नेताओं का कहना है कि यदि सूबे में सरकार में शामिल होते हैं तो कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा और पार्टी का विस्तार किया जा सकेगा।
Ajit Pawar,NCP: Whatever decision will be taken will be taken collectively, so we were waiting for Congress response yesterday but it didn’t come, we can’t decide on it alone. There is no misunderstanding,we contested together and are together. #MaharashtraGovtFormation pic.twitter.com/KCkIJYFMpJ
— ANI (@ANI) November 12, 2019
मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने एक बार फिर से पार्टी को शिवसेना के साथ जाने को लेकर चेतावनी दी है। संजय निरुपम ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस पर महाराष्ट्र में सरकार गठन की कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं है। हमारे ऊपर कोई भी आरोप लगाया जाना आधारहीन है। यह बीजेपी और शिवसेना की असफलता है, जिन्होंने प्रदेश को राष्ट्रपति शासन की ओर ले जाने का काम किया है।’
उधर, शिवसेना के सीनियर लीडर मनोहर श्याम जोशी ने कांग्रेस के रुख को लेकर कहा है कि हम उनके बारे में कुछ नहीं कह सकते। जोशी ने कहा कि जनता शिवसेना की सरकार चाहती है। गौरतलब है कि 288 विधानसभा सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना की 56 और एनसीपी की 54 सीटें हैं। ऐसे में 145 सीटों के आंकड़े के लिए दोनों दलों को कांग्रेस की जरूरत है।