नई दिल्ली : महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाने को लेकर पिछले कई दिनों से कांग्रेस और एनसीपी में बैठकें चल रही हैं। अबतक भले ही औपचारिक तौर पर ऐलान न हुआ हो पर गुरुवार शाम राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण के बयान से साफ हो गया कि अगले 24 घंटों में महाराष्ट्र में जारी अनिश्चितता खत्म हो सकती है। अभी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन है। जनता को भी इस बात का इंतजार है कि किसकी और कैसे सरकार बनेगी। शिवसेना के अलग राह पकड़ने से बीजेपी चुप्पी साधे है। इधर, मुंबई से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस और एनसीपी नेताओं की बैठकों का दौर जारी है। गुरुवार शाम में जब कांग्रेस नेता चव्हाण मीडिया के सामने आए तो उन्होंने साफ कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के तौर-तरीकों पर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बीच सहमति बन चुकी है। सूत्रों के मुताबिक तीनों ही पार्टियां विधानसभा में अपने सीटों के हिसाब से मंत्रालयों के बंटवारे पर भी सैद्धांतिक तौर पर एकमत हो चुकी हैं। आइए समझते हैं कि अब तक क्या कुछ फाइनल हो चुका है और ऐलान में देरी की वजह क्या है।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच बातचीत की प्रक्रिया गुरुवार को पूरी हो गई। दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस और NCP के बीच सभी मुद्दों पर बातचीत हो गई है और सहमति भी बन गई है। चव्हाण के मुताबिक अब दोनों पार्टियां शुक्रवार को मुंबई में अपने छोटे सहयोगी दलों और शिवसेना के साथ बातचीत करेंगी। कांग्रेस और एनसीपी के नेता अब शिवसेना के साथ बैठक करने से पहले अपने प्री-पोल पार्टनरों यानी पीजेंट्स वर्कर्स पार्टी (PWP), समाजवादी पार्टी, स्वाभिमानी पक्ष, सीपीआई (M) से बात करेंगे।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस और NCP के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम (CMP) तैयार हो चुका है और अब इसे शुक्रवार को मुंबई में शिवसेना के साथ साझा किया जाएगा। ऐसे में अगले 24 घंटे किसी ऐलान की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। कांग्रेस और एनसीपी में मंत्रियों को लेकर भी बात बन गई है। शुक्रवार को महाराष्ट्र विधान भवन में कांग्रेस ने अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें विधायक दल का नेता चुना जाएगा।
महाराष्ट्र में सरकार के ऐलान को लेकर शुक्रवार का दिन अहम है। नई सरकार के गठन एवं इसकी रूपरेखा के बारे में अंतिम निर्णय किया जा सकता है। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि शुक्रवार को मुंबई में ही इस बारे में विचार होगा कि नई सरकार का क्या स्वरूप होगा। सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को ही मुंबई में सरकार गठन तथा इसकी पूरी रूपरेखा के बारे में घोषणा की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस और एनसीपी की गुरुवार की बैठक में गठबंधन का नाम भी फाइनल कर लिया गया है। शुक्रवार को कई सहयोगी दलों के साथ बातचीत के बाद शिवसेना के साथ भी मीटिंग तय है।
मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे। तीनों पार्टियों में अहम मंत्रालयों का बंटवारा बराबर-बराबर होगा। चर्चा है कि उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे को भी मंत्री बनाया जा सकता है।
रिपोर्टों की मानें तो गठबंधन का नाम ‘महाविकास अघाड़ी’ हो सकता है। इस नए गठबंधन का एक संयोजक भी बनाया जाएगा जिस पर अंतिम सहमति शुक्रवार को मुंबई में बन सकती है। इससे पहले गुरुवार को दिन में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर 10 जनपथ पर कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक हुई। मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल, एके एंटनी और अधीर रंजन चौधरी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
CWC मीटिंग के बाद कांग्रेस के नेता केसी वेणुगोपाल ने बताया, ‘लगातार कांग्रेस और एनसीपी के बीच चर्चा जारी रही। मुझे लगता है कि कल मुंबई में फैसला हो सकता है।’ इससे पहले बुधवार को कांग्रेस के दिग्गज नेताओं अहमद पटेल, जयराम रमेश और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को एनसीपी चीफ शरद पवार के साथ हुई अपनी बैठक के बारे में जानकारी दी थी। गांधी को ब्रीफ करने के बाद तीनों कांग्रेस नेता दोबारा पवार के घर आ गए थे।
सूत्रों का कहना है कि बुधवाई को हुई बैठकों के दौरान कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने शिवसेना के नेताओं से भी फोन पर बात की थी और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। सूत्रों का यह भी कहना है कि गठबंधन सरकार के तहत शिवसेना और एनसीपी के बीच ढाई-ढाई साल के लिए सीएम का पद शेयर करने पर सहमति बन गई है जबकि कांग्रेस को डेप्युटी सीएम का पद दिया जा सकता है।
कांग्रेस और NCP के शीर्ष नेता शिवसेना के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए बैठक करेंगे। इस बैठक के दौरान शुक्रवार को गठबंधन का नाम तय करने और साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर चर्चा होगी।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में 12 नवंबर से ही राष्ट्रपति शासन लागू है क्योंकि कोई भी पार्टी राज्य में सरकार बनाने में सफल नहीं हो सकी। बीजेपी चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन उसने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया क्योंकि उसकी सहयोगी शिवसेना सीएम पोस्ट और कैबिनेट मंत्रियों के बराबर बंटवारे पर अड़ी रही। शिवसेना बाद में बीजेपी से अलग होकर नई संभावनाएं तलाशने लगी और अब तक इस दिशा में बैठकें हो रही हैं।
288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी ने 105 सीटें, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं।