नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश की। वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पास सरकार बनाने का मौलिक अधिकार नहीं है और उनकी याचिका को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट जा सकते थे, लेकिन मौलिक अधिकार का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकते थे।
जह सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि वो किसकी ओर से पेश हुए तो उन्होंने कहा कि मुझे कोई निर्देश नहीं मिला अभी तक। उन्होंने कहा कि मैं सॉलिसिटर जनरल होने के नाते याचिकाकर्ताओं की तरफ से रात को याचिका दी गई, इसलिए आया हूँ।
वहीं BJP विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल के अधिकार पर सवाल नहीं हो सकता। अनुच्छेद 361 में उन्हें छूट है। देश के राष्ट्रपति और राज्यपाल को विषेशाधिकार । वहीं उन्होंने कोर्ट के सवालों का जवबा देते हुए कहा कि मैं यहां सॉलिसिटर जनरल के तौर पर हूं। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं मालूम राज्यपाल की तरफ से मैं रहूंगा या कोई और।उन्होंने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट से ये अपील कर रहे हैं कि वो यह आदेश पास करें कि राज्यपाल गलत हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र के तहत किए गए काम के लिए किसी भी कोर्ट के सामने जवाबदेह नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को अधिकार है कि वो किसको मुख्यमंत्री के रूप में चुने। उन्होंने कहा कि सदन कोर्ट का, कोर्ट सदन का सम्मान करता है।