मध्यप्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की पार्टी आलाकमान से नाराजगी को लेकर अटकलें तेज हैं। उन्होंने ट्विटर अकाउंट से अपना कांग्रेसी परिचय हटा दिया है। ट्विटर के नए बायो में सिंधिया ने खुद को जनसेवक और क्रिकेट प्रेमी बताया है।
भोपाल :मध्य प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी को लेकर अटकलें जारी हैं। सोमवार को सिंधिया ने ट्विटर अकाउंट से अपना ‘कांग्रेसी परिचय’ हटा दिया है। अपने नए बायो में उन्होंने खुद को सिर्फ जनसेवक और क्रिकेट प्रेमी बताया है। हालांकि खुद सिंधिया ने ऐसी सभी अटकलों को खारिज किया है।
ट्विटर पर अपने बायो से कांग्रेस का जिक्र हटाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने बायो में करीब एक महीने पहले परिवर्तन किया था। लोगों की सलाह पर मैंने उसे छोटा कर लिया था। अब इसको लेकर जो अफवाहें उठ रही हैं, वह पूरी तरह निराधार हैं।’ बता दें कि ऐसी अटकलें थीं कि लोकसभा चुनाव में गुना से करारी हार के बाद सिंधिया पार्टी में उपेक्षा झेल रहे हैं। अगस्त महीने में सिंधिया की नाराजगी और उनके समर्थन में कार्यकर्ताओं की इस्तीफे की धमकी के बीच सीएम कमलनाथ खुद सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली भी गए थे। मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा था कि ‘सब कुछ ठीक’ है।
हालांकि अब सोमवार को अचानक सिंधिया के ट्विटर प्रोफाइल में बदलाव को एक बड़े संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इससे पहले अपने ट्विटर प्रोफाइल पर अपना पद- कांग्रेस महासचिव, गुना लोकसभा सीट से सांसद (2002-2019 तक) और पूर्व केन्द्रीय मंत्री लिखा था। अब उन्होंने इसे हटाकर खुद को समाज सेवक और क्रिक्रेट प्रेमी लिखा है।
इसी महीने कमलनाथ सरकार ने विदिशा जिला अस्पताल का नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया के दिवंगत पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे माधवराव सिंधिया के नाम पर करने का ऐलान किया था, जिस पर सिंधिया ने मुख्यमंत्री का शुक्रिया भी अदा किया था।
हाल ही में एक बैठक में सिंधिया के सामने कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शासन-प्रशासन के कथित असहयोगात्मक रुख के बारे में उन्हें बताया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने किसान कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता सहित अन्य कई वादे किए थे, मगर इसका लाभ संबंधित वर्ग को नहीं मिल पा रहा है। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाकर असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। इससे यह साफ संदेश गया कि सिंधिया के समर्थक कमलनाथ सरकार से नाराज हैं।