नई दिल्ली: हैदराबाद में महिला डॉक्टर का गैंगरेप कर हत्या करने के आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने के साथ ही उन्नाव की पीड़िता का मसला भी संसद में गूंजा। हैदराबाद में आरोपियों के एनकाउंटर का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने एक तरह से समर्थन किया और उन्नाव की घटना को लेकर सवाल खड़े किए। लोकसभा में कांग्रेस के लीडर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि एक तरफ हैदराबाद में गैंगरेप के आरोपियों को पुलिस ने भागने पर गोली से उड़ा दिया तो उन्नाव में जमानत दे दी गई।
उन्होंने कहा, ‘एक तरफ देश में राम का मंदिर बन रहा है और दूसरी तरफ देश में सीता मैया को जलाया जा रहा है। यह फिलहाल हिंदुस्तान की असलियत है। आखिर इतनी ताकत आरोपी कैसे जुटा पाते हैं। आरोपियों ने जमानत पर छूटने के 4 दिन बाद इस घटना को अंजाम दिया। आरोपियों ने पीड़िता को आग लगा दी। भागते दौड़ते महिला ने शरण ली और फिर अस्पताल में दाखिल कराया गया।’
उनके बाद बोलने खड़ी हुईं दिल्ली की बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने हैदराबाद के एनकाउंटर पर कहा, ‘जैसी करनी, वैसी भरनी।’ उन्होंने कहा कि यदि अपराधी इस तरह से भागेंगे तो फिर पुलिस को हथियार सजाने के लिए नहीं दिए गए हैं। हैदराबाद में पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ है, कुछ लोग इस पर अवसरवादी राजनीति कर रहे हैं। मुझे दुख होता है कि मैं दिल्ली में रहती हूं, लेकिन दिल्ली सरकार तीन साल तक उस फाइल पर बैठी रहती है।
उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता को जिंदा जलाने की कोशिश का मुद्दा बीएसपी के सांसद दानिश अली ने भी उठाया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस मामले में आरोपियों की जमानत का विरोध नहीं किया था। आखिर ऐसा क्यों किया गया।
बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल ने भी इस मामले को उठाते हुए कहा कि हैदराबाद का मसला अभी खत्म भी नहीं हुआ है कि अब उन्नाव का मसला सामने आ गया
हालांकि केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने रेप की घटनाओं का जिक्र करते हुए राम मंदिर का नाम लेने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि महिला सम्मान और महिला सुरक्षा के विषय को सांप्रदायिक रंग देना दुखद है। आज एक सांसद यहां पर बंगाल से मंदिर का नाम ले रहे थे और एक सांसद ने यहां उन्नाव और हैदराबाद की बात तो की, लेकिन मालदा पर चुप्पी साध ली।