मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में साल भर का कार्यकाल पूरा करने जा रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने शनिवार को कहा कि उन्हें मुख्य विपक्षी दल भाजपा के नेताओं का नहीं, बल्कि राज्य की जनता का प्रमाणपत्र चाहिये।
कमलनाथ ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, “साल भर के हमारे कार्यकाल में से ढाई महीने तो लोकसभा चुनावों की आदर्श आचार संहिता के कारण निकल गये। इस तरह हमें काम करने के लिये केवल साढ़े नौ महीने मिले। इस अवधि में हमने सूबे में विकास की नयी शुरूआत करते हुए अपनी सही नीतियों और नीयत का परिचय दिया है।”
उन्होंने कहा, “हम सूबे के नौजवानों और किसानों के भविष्य की चुनौतियों के मुताबिक विकास का नया नक्शा बनायेंगे। हम रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये निवेश का वातावरण बनायेंगे, ताकि उद्योगपति पूंजी लगाने के लिये अपने आप मध्यप्रदेश आयें।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “फिलहाल सूबे के कृषि क्षेत्र में फसलों के बम्पर उत्पादन की चुनौती है। ऐसे में हम कृषि क्षेत्र को नये नजरिये से देखते हुए किसानों की क्रय शक्ति बढ़ायेंगे, ताकि बाजारों में आर्थिक हलचल तेज हो।”
पिछले साल नवंबर में संपन्न विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस 15 साल के लम्बे अंतराल के बाद सूबे की सत्ता में लौटी थी।
कमलनाथ ने 17 दिसंबर 2018 को राज्य के नये मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, “मैं कोरी घोषणाओं में विश्वास नहीं करता। घोषणा करने वाले लोग (भाजपा नेता) तो 15 साल तक घोषणा ही करते रह गये। जब राज्य की जनता ने इन घोषणाओं से परेशान होकर उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया, तो अब उन्होंने हमारी आलोचना करनी शुरू कर दी है।”
उन्होंने कहा, “मुझे उनकी (भाजपा नेताओं की) आलोचना की चिंता नहीं है। मुझे उनका प्रमाणपत्र नहीं चाहिये। मुझे तो प्रदेश की जनता से प्रमाणपत्र चाहिये।”
प्रशासन के जरिये कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने पर जोर देते हुए कमलनाथ ने कहा कि सूबे में असुरक्षा के वातावरण को जरा भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
कमलनाथ ने यहां “ई-सवारी योजना” की शुरूआत की और इसे देश में अपनी तरह का पहला सरकारी कार्यक्रम करार दिया। इस योजना के जरिये पहले चरण में 100 महिला ड्राइवरों को ई-रिक्शा प्रदान किये गये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर की जरूरतों के मुताबिक इन शहरों में भी महिला ड्राइवर वाले ई-रिक्शा चलाए जायेंगे।