दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पार्टी की ओर से किसी भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिए जाने को लेकर बहुत बड़ा खुलासा किया है। हिंदूस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने पार्टी के इस फैसले के बारे में बताया है। तिवारी से पूछा गया कि उनकी पार्टी तो ‘सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास’ जैसी बातें करती है, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि 1993 के बाद उसने दिल्ली चुनाव में किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है।
नई दिल्ली: लगता है कि इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ध्रुवीकरण करने की कोई भी कोशिश नहीं छोड़ रही है। इस कड़ी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को इस चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने को लेकर बहुत बड़ा खुलासा कर दिया है। बता दें कि 27 वर्षों बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से पार्टी ने एक भी सीट पर किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। इसपर तिवारी ने कहा है कि मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने से क्या फायदा, जब वह किसी उम्मीदवार को जीतने में कोई मदद ही नहीं कर पाते। बता दें कि दिल्ली में 8 फरवरी को वोट डाले जाने हैं और फिलहाल यहां का मुख्य चुनावी मुद्दा शाहीन बाग में जारी धरना-प्रदर्शन ही हो चुका है।
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पार्टी की ओर से किसी भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिए जाने को लेकर बहुत बड़ा खुलासा किया है। हिंदूस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने पार्टी के इस फैसले के बारे में बताया है। तिवारी से पूछा गया कि उनकी पार्टी तो ‘सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास’ जैसी बातें करती है, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि 1993 के बाद उसने दिल्ली चुनाव में किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है। ऐसा क्यों? इसपर मनोज तिवारी ने कहा, ‘अगर हम उन्हें टिकट देते भी हैं तो वो (मुस्लिम उम्मीदवार) जीतने में हमारी मदद नहीं करते। हमारे यहां मुस्लिम समुदाय से मंत्री हैं (केंद्र में और यूपी में)। हमें उन्हें (मुस्लिम नेताओं को) राज्यसभा (केंद्र में) या विधान परिषद (राज्यों में) से लाना पड़ता है। हमनें कई बार उन्हें टिकट दिया है, लेकिन वो जीतने में हमारी मदद नहीं कर पाते। ‘
जानकार बतातें है कि दिल्ली जीतने के लिए बीजेपी की नजर राजधानी के 12फीसदी फ्लोटिंग वोटर पर है, जो आखिरी वक्त में किसी भी ओर झुक सकते हैं। ऐसे में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया नगर इलाके के पास शाहीन बाग में 52 दिनों से जारी धरना-प्रदर्शन पार्टी को एक बड़ा मौका नजर आ रहा है। पार्टी के मुताबिक केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार ने दिल्ली पुलिस और उपराज्यपाल के जरिए प्रदर्शनकारियों को समझाने-बुझाने की कोशिश भी की है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की ओर से भी उन्हें बातचीत का मौका दिया गया है, लेकिन ‘गैर-कानूनी’ तरीके से धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाने की अब तक कोई ठोस पहल नजर नहीं आई है।
ऐसे में माना जा रहा है कि शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन को भाजपा दिल्ली चुनाव में अपने लिए ध्रुवीकरण का एक बड़ा हथियार मान रही है। वजह ये है कि कुछ सैकड़े प्रदशर्नकारियों की वजह से वहां आसपास रहने वाले हजारों दिल्लीवासियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पार्टी को अपना जनाधार मजबूत होने की उम्मीद है। ऊपर से पार्टी के नेता शाहीन बाग को लेकर ऐसे-ऐसे बयान भी दे रहे हैं, जिससे इस वक्त चुनाव का मुख्य मुद्दा शाहीन बाग ही बन चुका है।
बीजेपी के कम से कम चार बड़े नेताओं ने शाहीन बाग के बहाने पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की भरपूर कोशिश की है। देश के ‘गद्दारों को गोली मारो’ के नारों और शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी ‘हत्या और रेप करेंगे’ जैसे विवादित बयानों की वजह से क्रमश: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और पश्चिमी दिल्ली के पार्टी सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई भी कर चुका है। वर्मा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ‘आतंकवादी’ भी बता चुके हैं और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी यह कहकर उनका समर्थन कर चुके हैं कि ‘अराजकतावादी और आतंकवादी’ में ज्यादा फर्क नहीं होता। लेकिन, ठाकुर और वर्मा पर भले ही चुनाव आयोग ने प्रचार करने पर कुछ घंटों की पाबंदी लगाई हो, लेकिन पार्टी ने उन्हें संसद में बोलने का मौका देकर साबित कर दिया कि उसे उनके बयानों से कोई दिक्कत नहीं है।
प्रवेश वर्मा ने तो लोकसभा में विपक्षी सांसदों को उनके कथित ‘पापों’ को धोने के लिए जय श्रीराम कहने की सलाह तक दे डाली। ऊपर से इनके बचाव में बीजेपी कह रही है कि अनुराग ठाकुर ने तो सिर्फ ‘देश के गद्दारों को’ के नारे लगाए थे, उन्होंने अपनी जुबान से ‘गोली मारो…’जैसे शब्द नहीं निकाले। मनोज तिवारी कहना है कि ‘पीएम को गोली मारो’, ‘होम मिनिस्टिर को गोली मारो’ और ‘जिन्ना वाली आजादी’ के नारे तो शाहीन बाग में लगाए जा रहे हैं। उधर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शाहीन बाग के बहाने लगातार दिल्ली का सियासी पारा बढ़ाए हुए हैं। वह दिल्ली सरकार पर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को बिरयानी खिलाने का आरोप तक लगा चुके हैं। उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि शाहीन बाग वालों को बिरयानी खिलाने के लिए ही पाकिस्तान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन कर रहा है।
कुल मिलाकर 8 फरवरी को होने वाले चुनाव की शुरुआत जो विकास के नाम पर लड़ने को लेकर हुई थी। वह आज शाहीन बाग और ध्रुवीकरण के आसपास आकर अटक गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार की अपनी पहली चुनावी रैली में शाहीन बाग के प्रदर्शन को संयोग नहीं प्रयोग कह चुके हैं। बहरहाल, देखने वाली बात है कि 11 फरवरी को इन सबके नतीजे क्या निकलते हैं?