दिल्ली विधानसभा चुनाव के रुझानों में 63 सीटों पर बढ़त बनाने वाली आम आदमी पार्टी (आप) को स्पष्ट बहुमत मिलना तय हो गया है । हालांकि, उसे 4 सीटों का नुकसान हो रहा है। भाजपा 7 सीटों पर आगे है, यानी पिछली बार से 4 सीटों की बढ़त है। कांग्रेस का लगातार दूसरे चुनाव में खाता खुलता नजर नहीं आ रहा है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) का जादू चल गया है। अरविंद केजरीवाल का लगातार तीसरी बार दिल्ली के सीएम बनना तय हो गया है। दिल्ली की जनता ने शाहीन बाग और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मुद्दे को नकारते हुए स्थानीय मुद्दे के आधार पर वोट दिया। पिछले चुनावों की तरह इस बार भी कांग्रेस इन चुनावों में खाता नहीं खोल पाई। वहीं, बीजेपी ने अपनी टैली मजबूत की है।
विवादित मुद्दों से किनारा – इन चुनावों में आप ने बड़ी चतुराई से विवादित मुद्दों के किनारा करते हुए स्थानीय मुद्दों पर लोगों से वोट मांगे। केजरीवाल ने चुनावों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे को उठाया और जनता के बीच इसी आधार पर वोट मांगा। बीजेपी ने शाहीन बाग और CAA का मुद्दा जोर-शोर से उठाया लेकिन दिल्लीवालों ने इन्हें सिरे से नकार दिया।
केजरीवाल के सामने मजबूत उम्मीदवार नहीं -दिल्ली चुनाव में केजरीवाल की टक्कर का नेता विपक्ष पेश नहीं कर पाई। पिछले 5 साल में केजरीवाल के किए गए कामों का जनता में अच्छा संदेश गया और जनता ने दिल खोलकर आप को वोट दिया। केजरीवाल की मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस ने इन चुनावों के लिए सीएम कैंडिडेट की घोषणा की थी।
केजरीवाल के कामों के आगे बीजेपी की नहीं चली – 2015 चुनावों बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार भगवा दल ने अपनी टैली को मजबूत किया है। बीजेपी ने इस चुनाव में शाहीन बाग और CAA को मुद्दा बनाया था लेकिन उसे इससे ज्यादा फायदा होता नहीं दिखा। पार्टी को इस मुद्दे के भरोसे जीत का भरोसा था लेकिन केजरीवाल के कामों के आगे बीजेपी की एक नहीं चली।
कांग्रेस पार्टी की बुरी स्थिति – इन चुनावों में सबसे बुरी स्थिति कांग्रेस की रही। 2015 चुनावों में कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली थी और इसबार भी पार्टी को खाता खोलते नहीं दिख रही है। पार्टी की बुरी स्थिति हो गई है। उसका वोट शेयर भी सिंगल डिजिट में चला गया है। कांग्रेस ने हार भी स्वीकार कर लिया है।