दिल्ली हिंसा में अब तक 42 की मौत हो चुकी है, जबकि 350 से ज्यादा लोग घायल हैं। मरने वालों का आंकड़ा थमने की बजाय रोज बढ़ता ही जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, ज्यादातर लोगों की मौत गोली लगने की वजह से हुई है। जबकि कुछ लोगों की मौत दंगाइयों के हमले से हुई। कई लोग जिंदा जला दिए गए, तो कई लोगों को चाकू-तलवार जैसे धारदार हथियारों से हमला कर मार दिया गया।
दंगों में जान गंवाने वालों में ज्यादातर लोग गरीब थे। अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले भी। भास्करडॉटकाम में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार किसी की हफ्तेभर पहले ही शादी हुई थी, तो किसी की पत्नी प्रेग्नेंट थी। अभी तक मरने वाले 42 लोगों में से 30 की पहचान हो गई है। तो कौन हैं दंगों में जान गंवाने वाले…
1) शाहीद अल्वी । उम्र: 24 साल – बुलंदशहर का रहने वाला शाहीद ऑटो ड्राइवर था। दंगाइयों ने उसे पेट पर गोली मारी थी। 4 महीने पहले ही शाहीद की शादी हुई थी। उसकी पत्नी शाजिया प्रेग्नेंट है।
2) मोहम्मद फुरकान । उम्र: 32 साल – मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला फुरकान वेडिंग बॉक्स डिजाइन करने का काम करता था। उसके परिवार में पत्नी, 4 साल की बेटी और साढ़े तीन साल का बेटा है। फुरकान पर भी भीड़ ने हमला कर दिया था।
3) राहुल सोलंकी । उम्र: 26 साल – सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था राहुल। दंगाइयों ने उसको गोली मारी थी। उसके पिता हरि सिंह सोलंकी के मुताबिक, राहुल की बड़ी बहन की शादी अप्रैल में होनी थी।
4) अशफाक हुसैन । उम्र: 22 साल – इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे। दंगाइयों ने उन्हें 5 गोली मारी थी। 11 फरवरी को ही अशफाक की शादी हुई थी।
5) विनोद कुमार । उम्र: 50 साल – घोंडा चौक में अरविंद नगर के रहने वाले विनोद के परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। विनोद अपने बड़े बेटे नितिन के साथ बाहर गए थे, तभी दंगाइयों ने उन पर हमला कर दिया। हमले में विनोद की मौत हो गई, जबकि नितिन घायल हो गया था। दंगाइयों ने उनकी बाइक भी जला दी थी।
6) दिनेश कुमार । उम्र: 35 साल – ड्राइवर थे और इसी से अपनी पत्नी और दो बच्चों को खर्चा चलाते थे। दिनेश को 7 से 8 घंटे तक वेंटिलेटर पर भी रखा गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
7) अकबरी । उम्र: 85 साल – दिल्ली के गामरी गांव में रहती थीं अकबरी। उनका बेटा मोहम्मद सईद घर पर ही कपड़ों की दुकान चलाता था। दंगाइयों ने जिस वक्त उनका घर जलाया, उस वक्त अकबरी घर पर ही थीं। इसी में उनकी मौत हो गई।
8) रतन लाल । उम्र: 42 साल – मूल रूप से राजस्थान के सीकर के रहने वाले रतन लाल दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल थे। हाल ही में उनकी पोस्टिंग गोकलपुरी में एसीपी ऑफिस में हेड कॉन्स्टेबल के तौर पर हुई थी। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं।
9) अंकित शर्मा । उम्र: 25 साल – अंकित इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में बतौर सिक्योरिटी असिस्टेंट काम करते थे। वे कई दिनों से लापता थे। उनका शव चांद बाग इलाके में एक नाले से मिला था।
10) राहुल ठाकुर । उम्र: 23 साल – भजनपुरा इलाके में रहने वाला राहुल अप्रैल में होने वाले सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी कर रहा था। वह अपने परिवार में सबसे छोटा था। उसके पिता आरपीएफ अफसर हैं। राहुल को सीने पर गोली लगी थी। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन जान नहीं बच सकी।
11) सुलेमान । उम्र: 22 साल – उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले का रहने वाला सुलेमान दिल्ली में लोहे का काम करता था। सोमवार से ही वह लापता था। गुरुवार को उसका शव जीटीबी हॉस्पिटल लाया गया।
12) मोहम्मद इरफान । उम्र: 32 साल – मजदूरी करके हर महीने 8 हजार रुपए कमाते थे। इसी से परिवार का खर्च चलता था। उनके परिवार में मां, पत्नी और दो बच्चे थे।
13) मुशर्रफ । उम्र: 35 साल – उत्तर प्रदेश के बदायुं जिले का रहने वाला मुशर्रफ दिल्ली में ड्राइवर की नौकरी करता था। उसके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे थे। दंगाइयों ने उसे मारकर उसका शव गोकुलपुरी में एक नाले में फेंक दिया था।
14) संजीत ठाकुर । उम्र: 32 साल – संजीत वेल्डिंग का काम करता था। वह जब घर लौट रहा था, तभी दंगाइयों ने उस पर पत्थर से हमला कर दिया। उसके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
15) आलोक तिवारी । उम्र: 24 साल – कार्डबोर्ड फैक्ट्री में काम करते थे और दिल्ली के करावल नगर इलाके में रहते थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
16) मुबारक अली । उम्र: 35 साल – मुबारक भजनपुरा इलाके में पेंटर का काम करता था। तीन दिन से लापता था। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे- दो बेटियां और एक लड़का है।
17) मोहम्मद शाहबान । उम्र: 22 साल – मुस्तफाबाद का रहने वाला मोहम्मद शाहबान वेल्डिंग शॉप चलाता था। दंगाइयों ने उसे उस वक्त गोली मारी, जब वह दुकान बंद कर रहा था। इतना ही नहीं, दंगाइयों ने उसकी दुकान भी जला दी थी।
18) अनवर । उम्र: 58 साल – शिव विहार इलाके में पॉल्ट्री फार्म (मुर्गीपालन) चलाते थे। इसी से उनके परिवार का खर्च चलता था। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। दंगाइयों ने उन्हें जला दिया था।
19) आमिर । उम्र: 30 साल – मुस्तफाबाद में रहता था। बुधवार से ही लापता था। गुरुवार को उसका शव मिला।
20) हाशिम । उम्र: 17 साल – आमिर का भाई था। हाशिम भी बुधवार से ही लापता था। उसका शव भी गुरुवार को ही मिला।
21) वीर भान । उम्र: 50 साल – बिजनेसमैन थे। दंगाइयों ने करावल नगर इलाके में उन्हें गोली मार दी थी। उनके परिवार में पत्नी, 22 साल का बेटा और 15 साल की बेटी है।
22) मुदस्सिर खान । उम्र: 35 साल – ऑटो ड्राइवर का काम कर परिवार का खर्च चलाता था। उसके परिवार में उसके दो बच्चे थे। दंगाइयों ने उसे गोली मार दी थी।
23) इश्तियाक खान । उम्र: 24 साल – करदमपुरी इलाके में रहता था। वहां वेल्डिंग मशीन बनाने का काम करता था। उसके परिवार में पत्नी, तीन साल की बेटी और 6 महीने का बेटा था। दंगाइयों ने उसके पेट में गोली मार दी थी।
24) मोहम्मद युसुफ । उम्र: 52 साल – ओल्ड मुस्तफाबाद का रहने वाला युसुफ कार्पेंटर था। उसके 7 बच्चे हैं। नोएडा से जब वह अपने घर लौट रहा था, तभी भीड़ ने उस पर हमला कर दिया।
25) दीपक कुमार । उम्र: 34 साल – झिलमिल इलाके में एक प्राइवेट फैक्ट्री में काम करते थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे (एक बेटा, एक बेटी) थे। दंगाइयों ने उन्हें गोली मार दी थी।
26) जाकिर । उम्र: 24 साल – बृजपुरी का रहने वाला जाकिर वेल्डर था। मंगलवार को दंगाइयों ने उसे गोली मार दी थी। उसके पेट पर कई घाव थे।
27) परवेज आलम । उम्र: 50 साल -घोंडा के रहने वाला परवेज गैराज चलाते थे। दंगाइयों ने उन्हें गोली मारी थी।
28) मेहताब । उम्र: 21 साल – कन्स्ट्रक्शन वर्कर का काम करता था मेहताब। उसे भीड़ ने मार दिया था।
29) महरूफ अली । उम्र: 30 साल -भजनपुरा में इलेक्ट्रिक शॉप चलाता था। दंगाइयों ने उसे गोली मार दी थी।
30) अमान । उम्र: 17 साल – उसे लोकनायक अस्पताल लाया गया था, लेकिन उसकी मौत हो गई। अस्पताल में मौजूद कुछ वकीलों का कहना था कि अमान का परिवार सीलमपुर में विरोध प्रदर्शनों में शामिल था।
उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगा पीड़ितों की मदद के लिए दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को एक और बड़ा कदम उठाने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार शाम को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 4 सब डिविजन हैं। आम तौर पर यहां 4 एसडीएम होते थे, लेकिन अब हमने यहां 18 एसडीएम नियुक्त किए हैं। वे जनता के बीच जा रहे हैं और उनसे बात कर रहे हैं। हम बड़े पैमाने पर हिंसा प्रभावित लोगों में खाना बांट रहे हैं।