गुड़गांव के मानेसर में एक रिजॉर्ट में ठहरे भाजपा विधायकों को भी रविवार को भोपाल लाया जा सकता है। वहीं बंगलूरू से सिंधिया समर्थक कांग्रेस विधायकों को भी कल विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले भोपाल लाए जाने की संभावना है।
भोपाल : मध्यप्रदेश में जारी सियासी ड्रामे के बीच जयपुर में ठहरे 82 कांग्रेसी विधायक (निर्दलीय भी शामिल) भोपाल पहुंच गए हैं। इन विधायकों को कड़ी सुरक्षा में मैरियट होटल ले जाया गया है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ थोड़ी देर में विधायकों से मुलाकात करने के लिए होटल पहुंच सकते हैं।
वहीं शाम को मुख्यमंत्री निवास में कांग्रेस विधायक दल की बैठक प्रस्तावित हैं। इस बैठक में सोमवार को होने वाले बहुमत परीक्षण को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। कहा जा रहा है कि सोमवार को विधायक मुख्यमंत्री निवास से सीधे विधानसभा पहुंचेंगे।
सूत्रों के अनुसार. गुड़गांव के मानेसर में एक रिजॉर्ट में ठहरे भाजपा विधायकों को भी रविवार को भोपाल लाया जा सकता है। वहीं बंगलूरू से सिंधिया समर्थक कांग्रेस विधायकों को भी कल विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले भोपाल लाए जाने की संभावना है।
कांग्रेस और भाजपा ने सोमवार को बहुमत परीक्षण को लेकर सभी विधायकों को व्हिप जारी किया है। दोनों पार्टियों ने सभी विधायकों को सोमवार को विधानसभा में उपस्थित रहने का निर्देश भी दिया है। माना जा रहा है कि गुरुग्राम में ठहरे भाजपा विधायक भी आज या कल सुबह भोपाल पहुंच जाएंगे।
विधायकों के भोपाल पहुंचने के बाद में थोड़ी देर में कमलनाथ मंत्रिमंडल की बैठक प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि इस बैठक में कोरोना वायरस से पैदा हुईं स्थितियों के कारण बजट सत्र को आगे बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है। हालांकि सूत्रों के अनुसार, बजट सत्र को आगे बढ़ाने पर कानूनी अड़चनों की सामना भी करना पड़ सकता है।
राज्य में चल रहे सियासी उठापटक के मद्देनजर मुख्यमंत्री कमलनाथ के आवास पर चल रही आपात बैठक खत्म हो गई है। इसमें सीएम कमलनाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और विवेक तन्खा शामिल हुए।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और शोभा ओझा कमलनाथ के आवास पर पहुंच गए हैं। मध्यप्रदेश के राज्यपाल ने कल बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया है।
कांग्रेस ने अपने जिन विधायकों को कथित खरीद-फरोख्त के डर से भोपाल के रिसॉर्ट में ठहराया हुआ था। वे भोपाल पहुंच चुके हैं। कल विधानसभा में कमलनाथ सरकार को बहुमत परीक्षण करना है। जिसके लिए कांग्रेस विधायकों को व्हिप जारी करके सरकार के समर्थन में मतदान करने के लिए कहा गया है।
देर रात राजभवन से बहुमत परीक्षण को लेकर पत्र राज्य के मुख्यमंत्री को भेजा गया। जिसमें लिखा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है और सरकार अल्पमत में है। राज्यपाल का कहना है कि स्थिति गंभीर है और कमलनाथ 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करें।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत जो विधायकों को जयपुर से भोपाल लेकर जा रहे हैं उन्होंने कहा, ‘हम कल बहुमत परीक्षण के लिए तैयार हैं और हमें पूरा विश्वास है कि जीत हमारी होगी। हम नहीं भाजपा परेशान है। बागी विधायक हमारे संपर्क में हैं।’
सिंधिया समर्थक विधायकों ने भोपाल जाने के लिए सुरक्षा की मांग की है। विधायकों ने वीडियो जारी करते हुए कहा है कि उन्हें भोपाल जाने के लिए सुरक्षा दी जाए। बता दें कि बंगलूरू में कांग्रेस के 22 विधायक ठहरे हुए हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया था। जिसमें कमलनाथ सरकार के मंत्री भी शामिल हैं। आज सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान के साथ बंगलूरू के होटल में ठहरे हुए इन विधायकों से मुलाकात करने के लिए जाएंगे।
राज्य में चल रहे सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
कमलनाथ ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने गृह मंत्री से गुजारिश की है कि बंगलूरू गए उनके 22 बागी विधायकों को सुरक्षित वापस आने दिया जाए ताकि वे 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में हिस्सा सकें।
मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने सरकार को 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया है। इससे पहले विधानसभा के स्पीकर ने कांग्रेस गे बागी विधायकों को आज शाम पांच बजे तक पेश होने का निर्देश दिया। वहीं, भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात कर जल्द बहुमत परीक्षण कराने की मांग की थी।
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कांग्रेस के बागी विधायकों को 15 मार्च तक पेश होने का नोटिस जारी किया है। विधायकों को 15 मार्च (रविवार) शाम 5 बजे तक पेश होने को कहा गया है। वहीं, बागी विधायकों ने राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखकर सुरक्षा देने की मांग की है। इस बीच, भाजपा ने राज्यपाल से मुलाकात कर कमलनाथ सरकार को जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण का निर्देश देने की मांग की।
इससे पहले स्पीकर ने 22 विधायकों को तीन अलग-अलग तारीखों में पेश होने के लिए नोटिस दिया था। सूत्रों ने कहा, अगर विधायक स्पीकर के सामने उपस्थित नहीं होते तो सरकार बहुमत परीक्षण टाल सकती है। सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है। दरअसल, संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने शुक्रवार को स्पीकर से विधायकों के इस्तीफे की जांच की मांग की थी। गौरतलब है कि बंगलूरू के रिजॉर्ट में रुके ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी 19 सहित 22 कांग्रेस विधायक इस्तीफा दे चुके हैं।