भोपाल : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधा है उन्होंने कहा है की बहुमत होता तो सरकार को दिक्कत क्या थी लेकिन मुख्यमंत्री बच रहे हैं। क्योंकि वो जानते हैं कि ये सरकार अल्पमत की सरकार है और इसलिए राज्यपाल महोदय के निर्देश का पालन नहीं किया गया। सरकार रणछोड़ दास बन गई। सत्र स्थगित करके ही भाग गई। उन्होंने कहा है की कांग्रेस के पास केवल 92 विधायक बचे हैं। भाजपा के 106 सशरीर आए हैं। टाइम काटू, काम कर रहे हैं कि जितनी कटे तो कट जाए। मैं ये पूछना चाहता हूं कि जो अल्पमत की सरकार है क्या उसे निर्णय लेने का अधिकार है।
राज्यसभा चुनाव में 10 दिन बाकी हैं। इससे पहले अगर सियासी घटनाक्रम बदलता है तो कमलनाथ और भाजपा, दोनों ही अपने-अपने तर्क देकर राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने का अनुरोध कर सकते हैं। कमलनाथ 14 मार्च को राज्यपाल को पत्र लिखकर कह चुके हैं, ‘हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, लेकिन 22 विधायकों को बंधक बनाकर यह संभव नहीं है। आप गृह मंत्री अमित शाह से कहें कि बेंगलुरु में बंधक विधायकों को छुड़ाएं।’ कमलनाथ ने बाद में गृह मंत्री को भी चिट्ठी लिखी थी।
क्या हो सकता है – संवैधानिक मामलों के जानकार फैजान मुस्तफा के मुताबिक, स्पीकर के पास दो विकल्प हैं। या तो वे विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लें या उन्हें डिस्क्वालिफाई (अयोग्य) करार दें। स्पीकर अपने फैसले को डिले कर सकते हैं, ताकि सत्ताधारी पार्टी के लोगों को बागियों को मनाने का कुछ वक्त मिल जाए। लेकिन दो विकल्पों के अलावा स्पीकर के पास कोई और चारा नहीं है।