इस साल अंतराष्ट्रीय उड़ानों पर भी प्रतिबंध है इसलिए भी हजयात्रा की संभावना काफी कम है। हज के लिए भारत से सऊदी अरब के लिए 25 जून से उड़ानें शुरू होती है और 40 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 2 अगस्त को समाप्त होती है। हर साल औसतन दो लाख मुस्लिम हज यात्रा पर जाते हैं। 70 फीसद हज यात्री हज कमेटी के जरिए यात्रा करते हैं, जबकि 30 फीसद प्राइवेट टूर ऑपरेटर को तरजीह देते हैं।
हज कमेटी के निर्देश के मुताबिक, रिफंड के लिए कैंसिलेशन फॉर्म भरकर हज कमेटी को ईमेल कर सकते हैं। साथ ही बैंक पासबुक की कॉपी या कैंसिल चेक भी अटैच करना पड़ेगा। कैंसिलेशन फॉर्म हज कमेटी की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।
इस बार होने वाली हज यात्रा को लेकर संकट गहराता जा रहा है। इस बीच भारतीय हज कमेटी ने कहा है कि जो लोग खुद ही यात्रा कैंसिल करना चाहते हैं उन्हें पूरी जमा राशि लौटा दी जाएगी। हज कमेटी ने यह भी कहा कि अब तक सऊदी अरब के अफसरों की तरफ से कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। अगर इस बार हज रद्द होता है तो यह 222 साल में पहली बार होगा। सऊदी में 95 हजार 700 से ज्यादा संक्रमित हैं और 642 मौतें हो चुकी हैं।हज कमेटी के निर्देश के मुताबिक, रिफंड के लिए कैंसिलेशन फॉर्म भरकर हज कमेटी को ईमेल कर सकते हैं। साथ ही बैंक पासबुक की कॉपी या कैंसिल चेक भी अटैच करना पड़ेगा। कैंसिलेशन फॉर्म हज कमेटी की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। भारतीय हज कमेटी के सीईओ डॉ. मकसूद अहमद खान ने 5 जून को नए निर्देश जारी किए।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए सऊदी अरब ने मार्च में बताया था कि इस साल के हज की तैयारियां अस्थाई तौर पर रोक दी गई हैं। हज कमेटी का कहना है कि सऊदी की ओर से अभी तक कोई नया अपडेट नहीं मिला है, जबकि कई लोग इस बारे में जानकारी मांग रहे थे। इसलिए फैसला लिया है कि जो लोग रजिस्ट्रेशन कैंसिल करना चाहें वे बता सकते हैं।
इससे पहले 1798 में हज रद्द किया गया था
कोरोना के चलते दुनियाभर के धार्मिक स्थलों को बंद किया गया है। इसका असर सऊदी अरब में मक्का-मदीना पर भी दिख सकता है। इससे पहले हज यात्रा 1798 में रद्द की गई थी। सऊदी सरकार ने 27 फरवरी को उमरा पर भी बैन लगा दिया था। उमरा हज की तरह ही होता है, लेकिन निश्चित इस्लामी महीने में मक्का और मदीना की यात्रा को हज कहा जाता है।
पिछले साल यहां करीब 20 लाख लोग पहुंचे थे। सऊदी को हर साल हज यात्रा से 91 हजार 702 करोड़ रुपए (12 अरब डॉलर) की आमदनी होती है। अगर यात्रा रद्द होती है, तो सऊदी के लिए यह साल घाटे का होगा, क्योंकि महामारी के कारण तेल की कीमतें पहले ही गिरी हुई हैं। file-pic