जर्मनी के बॉन शहर में आईजेडए श्रम अर्थशास्त्र संस्थान द्वारा एक चर्चा पत्र में कहा गया कि जिस क्षेत्र का हमने विश्लेषण किया, उसके आधार पर, हमने पाया कि फेस मास्क के अनिवार्य होने के बाद 10 दिनों की अवधि में कोविड-19 के रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या 2.3 फीसदी से 13 फीसदी तक कम हो गई।
दुनियाभर में लोगों को कोविड-19 से बचने के लिए मास्क लगाने को कहा जा रहा है। वहीं, एक शोध पेपर में सामने आया है कि मास्क कोरोना वायरस संक्रमण की वृद्धि दर को 40 फीसदी तक कम कर सकता है।
दरअसल, जर्मनी में विभिन्न शहरों और नगर पालिकाओं में सार्वजनिक स्थानों पर मास्क के उपयोग के प्रभाव पर एक पेपर जारी किया गया है। इसी में मास्क की आवश्यकता को लेकर जानकारी दी गई है।
इस पेपर में किए गए विश्लेषण से सामने आया कि जेना शहर द्वारा छह अप्रैल को मास्क पहनना अनिवार्य करने के बाद कोविड-19 के नए मामलों की संख्या घटकर 25 फीसदी पर आ गई। इन नतीजों को शुक्रवार को जारी किया गया।
जर्मनी के बॉन शहर में आईजेडए श्रम अर्थशास्त्र संस्थान द्वारा एक चर्चा पत्र में कहा गया कि जिस क्षेत्र का हमने विश्लेषण किया, उसके आधार पर, हमने पाया कि फेस मास्क के अनिवार्य होने के बाद 10 दिनों की अवधि में कोविड-19 के रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या 2.3 फीसदी से 13 फीसदी तक कम हो गई।
इसमें कहा गया कि विभिन्न अनुमानों की विश्वसनीयता का आकलन करते हुए, हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि फेस मास्क रिपोर्ट किए गए संक्रमणों की दैनिक वृद्धि दर को लगभग 40% तक कम कर देता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण का लंबी ऊष्मायन अवधि के साथ अन्य कारक इसके प्रसार में योगदान करते हैं।
‘द एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन’ में मार्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 के लक्षण आम तौर पर संक्रमित होने के चार से पांच दिनों बाद दिखाई देना शुरू होते हैं।
इस दौरान, मरीज में खांसी, बुखार और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण भले ही न दिखाई दें, लेकिन वह संक्रमण फैलाने में सक्षम होता है।
कई अध्ययनों में यह बात भी सामने आई कि कोविड-19 उन लोगों से भी फैला, जिनमें इस बीमारी के हल्के लक्षण थे।
‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन’ में शुक्रवार को प्रकाशित एक पेपर में पाया गया कि अधिकांश एसिम्पटौमैटिक (बिना लक्षण वाले मरीज) मामलों में संक्रमण के दौरान लक्षण बिल्कुल विकसित नहीं हुए। इसमें पाया गया कि बढ़ती उम्र, उच्च रक्तचाप और मधुमेह वाले लोग लंबे समय तक पूर्व रोगसूचक रहे।
पीएसआरआई के चेयरमैन और दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में पल्मोनोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर जीसी खिलनानी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण अध्ययन कई तथ्यों को स्पष्ट करता है।
उन्होंने कहा कि लोग औसतन चार दिनों में लक्षण विकसित करते हैं और कोविड-19 पॉजिटिव रोगियों (58%) की एक बड़ी संख्या बीमारी की अवधि के दौरान एसिम्पटौमैटिक होती है, जो तीन से 21 दिनों तक होती है, जबकि औसत अवधि नौ दिन होती है।
उन्होंने आगे कहा कि अध्ययन में यह भी पाया गया कि एसिम्पटौमैटिक रोगी बीमारी की अवधि में संक्रमण फैलता है।