सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन और वी गिरी ने केरल सरकार के मंदिर में देवी देवताओं के नाम पर पशुओं और पक्षियों के बलि पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को लेकर अपना साइड रखा है।
नई दिल्ली : गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है। इस दाखिल की गई याचिका में केरल सरकार के उस लॉ को चुनौती दी गई है, जिसमें बलि पर रोक लगाने के लिए लॉ बनाया गया है।
इस याचिका में मंदिर में देवताओं के नाम पर जानवरों की बलि देने की प्रथा को धर्म का अभिन्न अंग बताया है।
हालांकि, याचिका में यह भी कारण दिया गया है कि जब मुसलमान बकरीद पर और कुछ खास अवसरों पर ईसाइयों के चर्चों में पशुओं की बलि दी जा सकती है तो हिंदू क्यों बलि नहीं दे सकता है? वहीं, SC याचिका के इस सवाल पर संवैधानिकता जांचने को तैयार है।
दरअसल, केरल में पशु और पक्षी बलि निषेध अधिनियम बावन वर्ष पुराना है। इस ऐक्ट के अंदर हिंदुओं को पशु-पक्षियों की बलि देने पर प्रतिबंध लगा है।
केरल हाई कोर्ट में इसके विरुद्ध याचिका दायर की गयी थी। वहीं, हाई कोर्ट ने सोलह जून को यह याचिका डिस्मिस्सड कर दी थी। अपने निर्णय में हाई कोर्ट ने बोला था कि इस याचिका में ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे ये साबित हो पाए कि उक्त प्रैक्टिस धर्म का अभिन्न अंग है। यह बोलते हुए हाई कोर्ट ने याचिका डिस्मिस्सड कर दी थी। हाई कोर्ट से याचिका डिस्मिस्सड होने के बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा।
बता दें की सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन और वी गिरी ने केरल सरकार के मंदिर में देवी देवताओं के नाम पर पशुओं और पक्षियों के बलि पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को लेकर अपना साइड रखा है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एएस बोपन्ना याचिका में उठाए गए का सवालों को लेकर इसी संवैधानिक वैधता जांचने के लिए मान गए।
यह बोला गया कि सेंट्रल सरकार के बनाए गए लॉ के आधार पर पशुओं की धार्मिक बलि को परमिशन है, हालांकि उसमें पशु क्रूरता प्रतिबंधित है।