नई दिल्ली : कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच विवाद जारी है। इस बीच संसद में भी इस मुद्दे पर बहस चल रही है। बुधवार को ही भाजपा के सांसद भुवनेश्वर कलीता ने राज्यसभा में कहा कि कृषि कानून संसद में लंबी बहस और चर्चा के बाद पास हुए हैं और विपक्षी पार्टियों को किसान आंदोलन को एक और शाहीन बाग नहीं बनाना चाहिए। कलीता ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए यह बात कही।
दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर में पिछले दो महीने से ज्यादा समय से किसान जमे हैं। इनका नेतृत्व करने वाले कृषि संगठनों ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की है। हालांकि, केंद्र सरकार ने कानूनों पर चर्चा और बदलाव को लेकर तो हामी भर दी है, पर इन्हें वापस लेने से साफ इनकार कर दिया है। बता दें कि सीएए के खिलाफ दिल्ली में पिछले साल चार महीने तक आंदोलन चला था। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों ने शाहीन बाग के प्रदर्शनस्थल पर कब्जा कर लिया था।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के बागपत और मुजफ्फरपुर के बाद बुधवार को हरियाणा के जींद में किसानों की महापंचायत शुरू हो गई। इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत दिल्ली छोड़कर जींद में इस महापंचायत को संबोधित करने पहुंचे। पिछली दोनों महापंचायतों में हजारों की संख्या में लोग जुटे थे। इनमें कृषि कानूनों के खिलाफ आगे की तैयारी पर चर्चा हुई थी।