कोलंबो : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 22 फरवरी को दो दिन के श्रीलंका दौरे पर जा रहे हैं। पहले उनके शेड्यूल में वहां की संसद में भाषण देना भी शामिल था, लेकिन ऐन वक्त पर श्रीलंकाई सरकार ने संसद के संबोधन का कार्यक्रम रद्द कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोटबाया राजपक्षे सरकार को आशंका है कि इमरान भाषण के दौरान कश्मीर जैसा संवेदनशील मसला उठा सकते हैं और इससे भारत-श्रीलंका के संबंधों में तनाव आ सकता है।
श्रीलंका और भारत के ऐतिहासिक संबंध हैं। महामारी के दौर में भारत ने पहले तो दवाएं इस पड़ोसी देश को भेजी थीं और बाद में 5 लाख वैक्सीन डोज भी भेजे। ऐसे में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की सरकार भारत से रिश्ते खराब नहीं करना चाहती।
पांच दिन पहले अहम फैसला
प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान पहली बार श्रीलंका यात्रा पर जा रहे हैं। यहां वे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। पुराने शेड्यूल के मुताबिक, इमरान श्रीलंकाई संसद में भाषण देने वाले थे। अब इस प्रोग्राम को रद्द कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीलंकाई सरकार को आशंका है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भाषण में कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे का जिक्र कर सकते थे और इससे विवाद खड़ा हो सकता था। इसलिए, इमरान के संसद में भाषण के कार्यक्रम को ही रद्द कर दिया गया है।
महामारी का बहाना
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि श्रीलंकाई सरकार ने कोविड-19 के मसले की ओट में इमरान के भाषण का कार्यक्रम रद्द किया है। श्रीलंकाई सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सरकार और विपक्षी पार्टियों ने इमरान के संसद में भाषण को लेकर लंबी चर्चा की। इस दौरान लगा कि इमरान कश्मीर का जिक्र कर सकते हैं और इससे भारत के साथ रिश्ते बिगड़ सकते हैं।
SAARC समिट में भी उठाया था कश्मीर मुद्दा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और उनके मंत्री लगभग हर इंटरनेशनल फोरम पर कश्मीर का मुद्दा उठाते रहे हैं। पिछले साल भारत ने SAARC देशों की वर्चुअल मीटिंग बुलाई थी। मीटिंग का एजेंडा कोरोनावायरस से पैदा हुए हालात और इससे निपटने के लिए आपसी सहयोग था, लेकिन इसमें भी इमरान के मंत्री ने कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया।
श्रीलंकाई संसद को संबोधित करने वाले आखिरी नेता राष्ट्राध्यक्ष नरेंद्र मोदी थे। 2015 में उन्होंने इस पड़ोसी देश की संसद को संबोधित किया था। श्रीलंकाई सरकार ने पिछले दिनों ट्रेड यूनियन्स और विपक्ष के दबाव में एक पोर्ट प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया था। यह प्रोजेक्ट भारत, जापान और श्रीलंका मिलकर पूरा करने वाले थे।