नई दिल्लीः संसद में आज से बजट सत्र का दूसरा सत्र शुरू हो गया है। राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने पेट्रोल, डीजल और घरेलू रसोई गैस की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि को लेकर हंगामा किया। विपक्ष इसे ज्वलंत विषय बताते हुए इस पर चर्चा कराने की मांग पर अड़ा है। हंगामें के बाद राज्यसभा की कार्यवाही एक बार फिर दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल में कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे की ओर नियम 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस मिला है, जिसमें उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया है। नायडू ने कहा कि उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया है क्योंकि सदस्य मौजूदा सत्र में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान एवं अन्य मौकों पर इस संबंध में अपनी बात रख सकते हैं। बता दें कि नियम 267 के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर किसी अत्यावश्यक मुद्दे पर चर्चा की जाती है।
सभापति की ओर से पेट्रोल और डीजल व रसोई गैस की कीमतों के मुद्दे पर चर्चा का अनुमति नहीं मिलने पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान, कुछ सदस्य आसन के समीप भी आ गए। जब हंगामा नहीं थमा, तो कार्यवाही सोमवार सुबह 10 से लेकर 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। 11 बजे दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई, इसके बाद विपक्ष ने फिर ईंधन की कीमतों को लेकर हंगामा मचा दिया, लेकिन जब उपसभापति की शांत रहने की अपील के बावजूद हंगामा जारी रहा, जिसके बाद सदन की कार्यवाही दोबारा एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
बता दें कि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर खड़गे ने आज उच्च सदन की बैठक में पहली बार हिस्सा लिया। बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन नायडू ने कहा कि उच्च सदन में सदस्य विभिन्न तरह की पगड़ी और अंगवस्त्रम पहन कर आते हैं। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि सदस्यों को अपनी पार्टी के चिन्ह का सदन में प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी सदस्य विशेष को इंगित करते हुए यह बात नहीं कही है। नायडू ने आगे कहा, कभी कभी मुझे यह जानकर आश्चर्य होता है कि सांसद दिल्ली में हैं, लेकिन संसद की कार्यवाही में भाग नहीं ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने संसद सदस्यों से सदन में उपस्थित रहने की अपील की।
नायडू ने राज्यसभा के कामकाज के बारे में जिक्र करते हुए कहा, इस साल राज्यसभा के 39 ऐसे सदस्य थे, जिन्होंने इन समितियों की सभी बैठकों में हिस्सा लिया। पिछले साल की तुलना में इस साल इन समितियों की बैठक में लोकसभा के सदस्यों की उपस्थिति में कमी आई है। इस साल इन समितियों की बैठक में सदस्यों की उपस्थिति घटकर 42 प्रतिशत रह गई जो पिछले साल 48 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य ऐसे भी है, जिन्होंने किसी समिति की बैठक में भाग नहीं लिया।नायडू ने इन समितियों की बैठक में भाजपा एवं कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों के सदस्यों की कम उपस्थिति पर चिंता जताई। साथ ही संबंधित पार्टियों को इस पर ध्यान देने की बात कही है।