भारत और नेपाल की बीच बहुत जल्द ही रेल सेवा शुरू होने जा रही है। इसके लिए दोनों देशों ने ‘भारत-नेपाल रेल सेवा समझौते (आरएसए) 2004’ के एक विनिमय पत्र (एलओई) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता भारतीय रेलवे माल सेवाओं के माध्यम से माल के आयात और निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा।
यह पड़ोसी पहले नीति के तहत क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के भारत के प्रयासों में एक और मील का पत्थर का साबित होगा
काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि इसको लेकर शुक्रवार को वर्चुअल समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें दोनों के बीच नोट्स वर्बल्स और एलओई की हस्ताक्षरित प्रतियों का आदान-प्रदान किया गया। एलओई के लागू होने से सभी अधिकृत कार्गो ट्रेन ऑपरेटर (सार्वजनिक और निजी), ऑटोमोबाइल फ्रेट ट्रेन ऑपरेटर, स्पेशल फ्रेट ट्रेन ऑपरेटर या भारतीय रेलवे द्वारा अधिकृत कोई अन्य ऑपरेटर भारतीय रेलवे का उपयोग कर सकेंगे।
प्रेस रिलीज में कहा गया कि ”यह पड़ोसी पहले नीति के तहत क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के भारत के प्रयासों में एक और मील का पत्थर साबित होगा है। यह उदारीकरण नेपाल में रेल माल ढुलाई खंड में बाजार की ताकतों को आने की अनुमति देगा और इससे दक्षता और लागत-प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होने की संभावना है, अंततः नेपाली व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।”
परिवहन की लागत होगी कम:
एलओई के बाद सभी श्रेणियों के वैगनों में सभी प्रकार के कार्गो जो भारत के भीतर भारतीय रेलवे नेटवर्क पर माल ढुलाई कर सकते हैं, वे भी नेपाल से और वहां से माल ले जा सकते हैं। इससे ऑटोमोबाइल एवं कुछ अन्य उत्पादों पर आने परिवहन की लागत कम होगी।
समारोह में इन लोगों ने लिया हिस्सा:
समारोह का नेतृत्व भारत की तरफ से रेल मंत्रालय के सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास) संजय कुमार मोहंती ने किया। वहीं नेपाल की ओर से इसका नेतृत्व वाणिज्य, उद्योग और आपूर्ति मंत्रालय के सचिव दिनेश भट्टराई ने किया। समारोह में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा, भारत में नेपाल के राजदूत नीलाम्बर आचार्य, भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (उत्तर) अनुराग श्रीवास्तव और दोनों देशों की सरकारों के संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)