नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के विधायक रमाबाई के पति गोविंद सिंह को जमानत देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही राजनीतिक संरक्षण के कारण राज्य पुलिस की उदासीनता पर नाराजगी जताई। शीर्ष अदालत ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में मध्यप्रदेश की बसपा विधायक के पति की जमानत याचिका रद्द की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, भारत में दोहरी न्यायिक व्यवस्था नहीं हो सकती। एक अमीरों के लिए और दूसरी गरीबों के लिए। न्यायपालिका को राजनीतिक दबावों और प्रभावों से मुक्त रहना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने निष्पक्ष आपराधिक कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह को पुलिस महानिदेशक के निर्देशों में दूसरी जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की जमानत का आदेश रद्द करते हुए कहा कि इसमें कानूनी सिद्धांतों का सही इस्तेमाल नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आरोपी को जमानत देने में गंभीर गलती की है।
शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की आशंका की एक महीने के भीतर जांच की जाए। न्यायाधीश ने अपने 8 फरवरी के आदेश में कहा था कि दमोह पुलिस अधीक्षक और उनके अधीनस्थों द्वारा उन पर “दबाव” डाला गया था।
शीर्ष अदालत के आदेश पर हत्याकांड में फरार चल रहे गोविंद सिंह को 28 मार्च को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। शीर्ष अदालत ने चौरसिया के बेटे सोमेश और राज्य सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया। इन अपील में सिंह की जमानत रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
दलीलों में दावा किया गया कि वह जमानत पर रहते हुए कई हत्या के मामलों में शामिल था। चौरसिया की मार्च 2019 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने तब सिंह और अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था।