पंजाब में पिछले दिनों चले एक हाई प्रोफ़ाइल राजनैतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप राज्य के मुख्यमंत्री के परिवर्तन के रूप में हुआ। कांग्रेस आलाकमान ने राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता कैप्टन अमरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटा कर दलित सिख समाज से संबंध रखने वाले 58 वर्षीय चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्य मंत्री बनाने का फ़ैसला किया। चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार विधायक चुने जाने वाले चन्नी इससे पहले पंजाब विधान सभा में विपक्ष के नेता से लेकर राज्य के कैबिनेट मंत्री जैसे पदों तक की ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभा चुके हैं। हालांकि कांग्रेस से एक मज़बूत विपक्ष की भूमिका की उम्मीद रखने वाले अधिकांश राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान का कैप्टन अमरेंद्र सिंह जैसे वरिष्ठ व वफ़ादार नेता को इस समय हटाने का फ़ैसला उचित नहीं था। इस फ़ैसले से आहत कैप्टन यदि पंजाब विधानसभा के आगामी चुनावों में कांग्रेस का विरोध करने का फ़ैसला करेंगे तो पार्टी को नुक़सान उठाना पड़ सकता है। परन्तु कई विश्लेषकों का यह भी मानना है कि कांग्रेस ने देश में सबसे अधिक लगभग 32 प्रतिशत सिख आबादी रखने वाले राज्य पंजाब को पहली बार एक दलित सिख मुख्यमंत्री देकर एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है जिसका प्रभाव पंजाब ही नहीं बल्कि पूरे देश ख़ास तौर पर उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावों में दलित मतदाताओं पर भी पड़ सकता है। शिरोमणि अकाली दल,भाजपा व आम आदमी पार्टी दलित मतों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिये राज्य को दलित मुख्य मंत्री देने का वादा करते रहे हैं परन्तु कांग्रेस ने आख़िर वह काम कर दिखाया।
शायद यही वजह है कि चन्नी के मुख्यमंत्री बनाये जाने का विरोध उस कांग्रेस पार्टी में इतना नहीं हो रहा जो पंजाब में चंद दिनों पहले ही संगठनात्मक उथल पुथल व आंतरिक गुटबाज़ी से बुरी तरह जूझ रही थी। बल्कि उनके माथे पर चिंता की ज़्यादा लकीरें देखी जा रही हैं जिन्हें चन्नी के मुख्य मंत्री बनने के बाद कांग्रेस के दलित समाज में संभावित रूप से बढ़ने वाले जनाधार का ख़तरा ज़्यादा सता रहा है। भारतीय जनता पार्टी इसे कांग्रेस का चुनावी हथकंडा और पार्टी का दलित प्रेम का दिखावा बता रही है। भाजपा अभी से पूछने लगी है कि क्या कांग्रेस राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव भी चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में ही लड़ेगी ? बड़े आश्चर्य बात है कि वर्तमान कृषक आंदोलन के चलते जो भाजपा इस समय पंजाब में लगभग पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुकी है और ख़बरों के मुताबिक़ कैप्टन अमरेंद्र सिंह की भविष्य की रणनीति पर बड़ी हसरतों से टकटकी लगाए देख रही है, वह भाजपा कांग्रेस के भविष्य की चुनावी रणनीति को लेकर चिंतित है ? कांग्रेस ही नहीं बल्कि स्वयं को देश के दलितों का एकमात्र नेता समझने की गलफ़हमी रखने वाली बहुजन समाज पार्टी नेता मायावती को भी कांग्रेस का यह ‘मास्टर स्ट्रोक ‘हज़म नहीं हो पा रहा है। मायावती यदि वास्तव में दलित हितैषी होतीं तो उन्हें एक दलित समाज के व्यक्ति को पंजाब जैसे सशक्त राज्य का मुख्यमंत्री बनते देख ख़ुश होना चाहिये परन्तु इसे वे कांग्रेस का ‘कोरा चुनावी एजेंडा ‘ बता रही हैं। और दलितों के नाम पर और सवर्णों के विरोध के बल पर स्वयं को राजनीति में स्थापित करने के बाद आज उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बनाने के लिये वह स्वयं जो कुछ करती फिर रही हैं वह उनका ‘कोरा चुनावी एजेंडा ‘ नहीं तो और क्या है ? ग़ौरतलब है कि अकाली दल ने कृषि क़ानूनों का विरोध करते हुए भाजपा से अपना 24 वर्ष पुराना गठबंधन समाप्त करने के बाद बहुजन समाज पार्टी से इसी उम्मीद से समझौता किया है कि मायावती अकाली दल को राज्य के दलित वोट दिलवाने में सहायक होंगी। इसके बदले अकाली दाल ने कथित तौर पर 20 सीटें बसपा के लिये छोड़ने की बात की बात भी की थी। अब मायावती को कांग्रेस के ‘मास्टर स्ट्रोक ‘ से ख़तरा पैदा हो गया है कि कहीं पंजाब से लेकर यू पी तक उनकी उम्मीदों पर पानी न फिर जाये।
चन्नी के विरुद्ध भाजपा द्वारा उनके विरुद्ध तीन वर्ष पूर्व उठा ‘मी टू ‘ विवाद भी छेड़ दिया गया है। ग़ौर तलब है कि 2018 में चन्नी ने अपने तकनीकी शिक्षा मंत्री रहते राज्य की एक आई ए एस अधिकारी को वॉट्स एप पर एक आपत्तिजनक सन्देश भेजा था। हालांकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह का इस विषय पर कहना है कि चन्नी ने इसके लिये माफ़ी मांगी थी और अधिकारी की संतुष्टि के बाद यह विषय अब समाप्त हो चुका है। परन्तु भाजपा ने महिला आयोग से लेकर आई टी सेल तक अपने सारे शस्त्र चन्नी व चन्नी के बहाने कांग्रेस पर चला दिये हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग चन्नी से ‘मी टू ‘ के आरोपी के नाते त्याग पत्र मांग रही है। कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्षा सोनिया गांधी से उन्हें हटाने की मांग कर रही है। इतना ही नहीं बल्कि राष्ट्रिय महिला आयोग अध्यक्षा का यह भी कहना है कि कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री बना कर महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है। भाजपा आई टी सेल ने ‘वाट्स ऐप ‘ यूनिवर्सिटी व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से यह दुष्प्रचार भी छेड़ा है कि चन्नी दलित नहीं बल्कि अपना धर्म परिवर्तन कर चुके ईसाई हैं। इस अफ़वाहबाज़ी के समर्थन में एक चित्र प्रसारित किया जा रहा हैं जिसमें दीवार पर लटका एक यीशु मसीह के क्रॉस वाला फ़ोटो फ़्रेम दिखाई दे रहा है। इन चंपुओं को यह नहीं समझ आता कि अंबेडकर,कांशीराम व मायावती समेत दलित समाज का एक बड़ा तबक़ा आज स्वयं को बौद्ध समुदाय से संबद्ध बताता है। परन्तु चन्नी दलित नहीं ईसाई हैं यह प्रचारित करने पर पूरा आई टी सेल व उनके समर्थक अंधभक्त ज़ोर शोर से जुटे हुए हैं।
इस समय भाजपा में ही कितने बलात्कार व हत्या जैसे अपराधों के आरोपी मंत्री सांसद व विधायक हैं उनकी फ़िक्र छोड़ चन्नी के ‘मी टू’ के आरोपी होने की चिंता करना तथा बौखलाहट में उनके धर्म और विश्वास को लेकर दुष्प्रचार करना यही साबित करता है कि कांग्रेस के पंजाब में मुख्यमंत्री परिवर्तन करने के इस मास्टर स्ट्रोक को शायद कांग्रेस विरोधी हज़म नहीं कर पा रहे हैं और तभी उनके ‘पेट में मरोड़ ‘ उठ रहा है।
:-निर्मल रानी