नई दिल्लीः दिल्ली-एनसीआर में फैले प्रदूषण पर एक बार फिर केंद्र व दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी सुननी पड़ रही है। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ बैठकें हो रही हैं। आप लोग कोई ठोस बात नहीं करते। कोर्ट ने कहा कि कुछ दिन सड़क से गाड़ियां हटाकर केवल सार्वजनिक परिवहन चलाने जैसी बातें क्यों नहीं की जातीं? इस पर दिल्ली सरकार ने जवाब दिया कि हमने दफ्तरों को बंद कर दिया है, लेकिन एनसीआर से तो गाड़ियां आएंगी ही। इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने पूछा कि क्या आप सीएनजी बसों की संख्या बढ़ा सकते हैं, जिससे लोग उसमें दफ्तर जाएं। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि यह देखना होगा कि कितनी बसें हैं, पर एनसीआर से आने वाली गाड़ियों को क्या करेंगे?
क्या कुछ मशीनें एक हजार किलोमीटर साफ करेंगी
दिल्ली सरकार ने कहा कि सफाई के लिए कई मशीनें लगाई गई हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि इतनी मशीन-उतनी मशीन की बात हो रही है। क्या कुछ मशीनें 1000 किलोमीटर की सफाई करेंगी। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि हम मदद के लिए तैयार हैं। मशीनों की खरीद के लिए हम आर्थिक मदद देंगे।
टीवी की बहस ज्यादा प्रदूषण फैलाती है
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मीडिया में हमारे खिलाफ पराली को लेकर गलत खबरें चलाई गईँ। कहा गया कि हमने कोर्ट को गुमराह किया है। इसलिए हम कोर्ट में अपनी सफाई पेश करना चाहते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने कोर्ट को गुमराह नहीं किया है। सार्वजनिक रूप से ऐसी आलोचना होती रहती हैं। हमारा उद्देश्य साफ है। इसलिए मुद्दे से न भटकिए और यह सब भूल जाइए। सीजेआई एनवी रमन्ना ने कहा कि देखा जाए तो टीवी में होने वाली बहस ज्यादा प्रदूषण फैलाती है। सबका अपना एजेंडा है।
आपने लोगों को उनकी मर्जी से चलने की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से सवाल किया कि क्या आप एनसीआर के शहरों में वर्क फ्रॉम होम करवा रहे हैं। इस पर हरियाणा के वकील ने जवाब दिया कि- हां, हम ऐसा कर रहे हैं और मुख्य सचिव समेत आला अधिकारी इसकी निगरानी कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कह रहे हैं कि आपके चार जिलों में निजी वाहन बंद हैं? असल में आपने लोगों को उनकी मर्जी से चलने की अनुमति दे रखी है।
आग बुझा दी और फसल अवशेष छोड़ दिए
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि हमने गांवों का दौरा किया है। जिन खेतों में पराली जल रही थी, उसे पानी डाल कर बुझाया गया। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपने आग बुझा दी और फसल अवशेषों को वहीं छोड़ दिया, किसानों की खेती में मदद कौन करेगा?
केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा
इससे पहले केंद्र ने एक हलफनामे के माध्यम से कहा कि केंद्र द्वारा जिन वाहनों का प्रयोग राष्ट्रीय राजधानी में किया जा रहा है वह कुल वाहनों का छोटा का हिस्सा है। इन वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से प्रदूषण पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। केंद्र का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम से प्रदूषण पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। केंद्र ने अपने कर्मचारियों को दफ्तर आने-जाने के लिए निजी वाहनों का प्रयोग करने के बजाय कारपुलिंग का सहारा लेने की सलाह दी, जिससे सड़क पर वाहनों की संख्या कम हो सके।
इसके अलावा केंद्र ने अपने हलफनामें दिल्ली-एनसीआर के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की रिपोर्ट का जिक्र किया है। इस रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के स्तर में सुधार लाने के लिए दिल्ली में 21 नवंबर तक ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल आवश्यक वस्तुओं वाले ट्रकों का ही प्रवेश दिल्ली में हो। इसके अलावा थर्मल प्लांट और निर्माण कार्यों पर भी रोक लगाने का जिक्र किया गया है।
पंजाब सरकार ने कहा एमएसपी बढ़ाई जाए
पंजाब सरकार ने सुनवाई से पहले दिए गए हलफनामें में कहा कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसके लिए एमएसपी प्रति क्विंटर 100 रुपये बढ़ाना चाहिए, पर केंद्र ऐसा नहीं कर रहा है। वहीं हरियाणा सरकार ने भी पराली जलाने पर रोक लगाने की मांग की। सरकार ने कहा कि कुछ थर्मल पावर प्लांट भी बंद किए गए हैं।